फोबिया (Phobia) को लेकर लोगों में अनेक प्रकार के भ्रम हैं , इस आर्टिकल फोबिया के बारे में आपकी कई जिज्ञासाओं को शामिल किया गया है।इस लेख में...
फोबिया (Phobia) को लेकर लोगों में अनेक प्रकार के भ्रम हैं, इस आर्टिकल फोबिया के बारे में आपकी कई जिज्ञासाओं को शामिल किया गया है।इस लेख में हम फोबिया क्या है, उसके कारण, लक्षण, और उपचार आदि पर विस्तृत चर्चा करेंगे, यदि आप फोबिया के बारे में विस्तार से जानना चाहते है, तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें, यहाँ हम जानेगें कि –
फोबिया
क्या है ?
फोबिया
के क्या कारण हैं?
फोबिया
कितने प्रकार का होता है ?
फोबिया
के क्या लक्षण हैं ?
फोबिया
का उपचार ?
फोबिया क्या है ?
ग्रीक भाषा के शब्द phóbos से "फोबिया" शब्द का जन्म हुआ है, इसका अर्थ है "घृणा" अथवा "भय" । फोबिया मानव में होने वाला एक असामान्य भय है, जो किसी विशेष परिस्थिति वस्तु अथवा गतिविधि से हो सकती है।
सामान्य तौर पर फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति यह जानता है कि उसका भय निराधार है, लेकिन वह अपने मनोभाव पर काबू नहीं कर पाता और जैसे ही वह उस विशेष परिस्थिति, वस्तु या गतिविधि के संपर्क में आता है, वह असामान्य रूप से भयभीत हो जाता है।
फोबिया एंजाइटी का ही एक प्रकार है, लेकिन इसमें एक अंतर है एंजाइटी एक सतत प्रक्रिया है और एंजाइटी से ग्रस्त व्यक्ति में एंजाइटी के लक्षण हमेशा दिखाई पड़ते हैं।
फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति एक सामान्य व्यवहार वाला व्यक्ति होता है, जब तक की वह विशेष परिस्थिति, वस्तु या गतिविधि उसके सामने नहीं आती, लेकिन जैसे ही वह विशिष्ट घटना उसके सामने होती हैं, व्यक्ति पूरी तरह से भयग्रस्त और असामान्य हो जाता है, जैसे एक्रोफोबिया में ऊंचाई से भय या एरानोफोबिया में मकड़ी का भय ।
फोबिया का प्रभाव दैनिक जीवन में कष्टदायी होता है, और सामान्य दिनचर्या, दैनिक काम, स्कूल, कार्यालय और निजी संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
फोबिया मानसिक रोग से अलग होता है, जैसे सिज़ोफ्रेनिया में अवास्तविक आवाज सुनाई पड़ना और आभासी दृश्य का भ्रम होता हैं। जबकि फोबिया तर्कहीन हो सकता है, लेकिन आभासी नहीं होता है। ज्यादातर केसों में मल्टीपल फोबिया भी दिखाई पड़ते हैं जिसमें एक साथ कई प्रकार की फोबिया होते हैं।
एंजाइटी क्या है ( Anxiety kya hai ); एंजायटी मानव का स्वभाव है या बीमारी, एंजायटी से कैसे बचा जा सकता है , इसका उपचार क्या है ? आदि जानने के लिय यहां क्लिक करें।
फोबिया
के क्या कारण हैं ?
फोबिया
के मुख्य रूप से दो कारण है, आनुवंशिक और पर्यावरणीय परिस्थितियां। फोबिया में वंशानुगति एक प्रमुख
कारण है, जिन बच्चों के माता पिता या करीबी रिश्तेदार में एंजाइटी की समस्या होती है, उन्हें फोबिया होने का खतरा अधिक होता है।
इसके अतिरिक्त वाह्य
परिस्थितियां जैसे कि सीमित स्थान, अत्यधिक ऊंचाइयों, जानवरों
या कीट के काटने या संपर्क में आना भी फोबिया का कारण हो सकते हैं।
जिन व्यक्तियों का कोई इलाज चल रहा होता है, ऐसे व्यक्ति भी अपनी चिकित्सा स्थितियों या स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के कारण भी फोबिया से ग्रस्त हो सकते है। सर में लगी गहरी चोट के बाद भी फोबिया विकसित हो सकता है। मादक द्रव्यों के सेवन और अवसाद भी फोबिया के कारण हो सकते हैं।
विशेष आयु, सामाजिक आर्थिक स्थिति, और लिंग में कुछ विशेष फ़ोबिया होने की सम्भावना अधिक होती है।
उदाहरण के
लिए, महिलाओं में जानवरों से फोबिया होने की संभावना
अधिक होती है। कम सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले बच्चों या लोगों में सामाजिक भय होने
की संभावना अधिक होती है। पुरुषो में दंत चिकित्सक और डॉक्टर से फ़ोबिया होने की
अधिक सम्भावना होती है। सामान्य तौर पर, महिलाएं
पुरुषों की तुलना में फोबिया से अधिक प्रभावित होती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर किये गए अध्ययनों के अनुसार:-
- फोबिया के केवल 10% मामले आजीवन चलते हैं।
- फोबिया वाले लगभग 75% लोगों में कई फोबिया होते हैं।
- महिलाएँ पुरुषों की तुलना में फ़ोबिया से लगभग दो बार प्रभावित होती हैं।
- सामान्यतः फोबिया की शुरुआत 10–17 की उम्र के आसपास होती है।
- बढ़ती उम्र के साथ फोबिया से संक्रमित होने की दर कम होती जाती है।
- फोबिया से पीड़ित लोगों में आत्महत्या का खतरा अधिक होता है।
फोबिया कितने प्रकार का होता है ?
फोबिया के कारण और तीव्रता के आधार पर इन्हे निम्न तीन मुख्य रूपों में वर्गीकृत किया गया है-
- अगोराफोबिया
- सोशल फोबिया
- विशिष्ठ (स्पेसिफिक) फोबिया
अगोराफोबिया :-
अगोराफोबिया भी एक
असामान्य प्रकार का भय है, जिसमें
किसी मनुष्य को लगता है कि वह किसी स्थान किसी घटना अथवा किसी परिस्थिति में इस
प्रकार फंस सकता है कि, वह वहां से बचकर नहीं निकल पाएगा और
उसे वहां कोई कोई मदद भी नहीं मिल पाएगी । एगोराफोबिया
से पीड़ित बहुत से लोगों को डर होता है कि उनके पास ऐसी जगह पर आतंक का हमला हो
सकता है जहां से वे बच नहीं सकते है। स्वास्थ्य समस्याओं संबंधित फोबिया वालों में
ये डर हो सकता हैं कि सार्वजनिक क्षेत्र में कोई चिकित्सा आपात स्थिति पैदा हो गयी
तो वहां उन्हें कोई मदद उपलब्ध नहीं हो पायेगी।
यह भय इतना बढ़ जाता है व्यक्ति सामाजिक स्थितियों से
पूरी तरह बचते हैं, और अपने घरों के अंदर रहते हैं। इस अगोराफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति बुरी तरह से सामान्य जीवन से अलग थलग हो
जाता है। इसमें होने वाले भय के अनुभव में कुछ प्रमुख परिस्थितियां निम्न है :-
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना
- खुली जगहों पर होना
- बंद स्थानों पर होना
- लाइन में खड़ा होना या भीड़ में होना
- घर के बाहर अकेले रहना
कई बार यह इतना भयानक हो जाता है कि व्यक्ति, किसी सार्वजानिक स्थान पर जाने से, लिफ्ट प्रयोग करने से, या कई बार घर से बाहर निकलने में भी भय का अनुभव करने लगता है। विभिन्न देशो में कई ऐसे मामले भी देखे गए हैं, जब अगोराफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति अपने आप को कई सालों तक या कई महीनों तक अपने ही घर में कैद कर लेता है।
नोट :- संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में हुए 26/11 के आतंकी हमलो के बाद अमेरिकी नागरिकों में अगोराफोबिया के केस बहुत बढ़ गए थे ।
सोशल फोबिया :-
इस प्रकार की एंजायटी से
ग्रस्त व्यक्ति सामाजिक संपर्कों से दूर भागता है, लोगों को संबोधित करने में, नए
लोगों से मिलने में, और सामाजिक संपर्क बनाने से, वह हमेशा बचने का प्रयास करता है।
क्योंकि उसे एक भय होता
है कि, वह स्वयं
को व्यक्त नहीं कर पाएगा, और उसे सबके सामने शर्मिंदा होना
पडेगा। इस तरह शर्मिंदगी से बचने के लिए वह ऐसी परिस्थितियों में जाने से स्वयं को
बचाता है। सोशल फोबिया इतना गंभीर हो सकता है कि,
इससे ग्रस्त व्यक्ति सामान्य सामाजिक संपर्को से भी दूर भागने लगता
है, जैसे कि रेस्तरां में ऑर्डर करना या टेलीफोन पर
जवाब देना आदि।
सोशल फोबिया का एक प्रकार, सलेक्टिव म्यूटिज्म भी है। यह भी एक प्रकार का विशिष्ट भय है, जो बच्चों में पाया जाता है। कई बार यह देखा जाता है कि बच्चे जो बातें अपने परिवार में या मित्रों में कह सकते हैं, वही बातें वे अपने स्कूल में अपनी टीचर के सामने अथवा किसी मंच पर नहीं कह पाते, इसे ही सलेक्टिव म्यूटिज्म कहा जाता है।
विशिष्ट फोबिया:-
इनमें किसी विशेष वस्तु, स्थिति, जीव-जन्तु जैसे सांप, तितलियों या पतंगे आदि का डर शामिल होता है। इस तरह के फोबिया को मुख्यतः चार अलग श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं : -
* स्थितिजन्य: ऊंचाइयों और
उड़ान से, पुलों से,
घर छोड़न से वाहन चलाना आदि से लगने वाला डर।
* जीव-जन्तु: सांप, कृन्तकों, तितलियों, पतंगे, बिल्लियों या
पक्षियों आदि से लगने वाला डर।
* चिकित्सा: रक्त देखने,इंजेक्सन से,हॉस्पिटल
से, या डॉक्टर से मिलने आदि से लगने वाला डर।
* पर्यावरण: बिजली, पानी, तूफान, तूफान, बवंडर, या किसी प्राकृतिक आपदा आदि से लगने वाला डर।
कुछ विशिष्ठ प्रकार के फोबिया और उनके कारण निम्न हैं-
* ग्लोसोफोबिया:
यह समूह के सामने बोलने या उसे निर्देशित करते समय लगने वाला भय है।
* एक्रोफोबिया:
इस फोबिया
से पीड़ित लोगों को ऊचाई से डर लगता है, ये पहाड़ों, पुलों या
इमारतों की ऊंची मंजिलों से बचते हैं।
* क्लेस्ट्रोफोबिया:
यह तंग
और बंद स्थानों का डर है। क्लौस्ट्रफ़ोबिया से पीड़ित लोगों सार्वजनिक वाहनों, कारों या लिफ्ट में सवारी करने से
भय होता है।
* एरोफोबिया:
यह उडान से
लगने वाला भय है। इस फोबिया से पीड़ित लोगों को हवाई यात्रा करने से भय होता है।
* डेंटोफोबिया:
दंत
चिकित्सक या दंत उपचार की प्रक्रियाओं से लगने वाला भय है।
* हीमोफोबिया:
यह रक्त या
चोट का एक भय है। हीमोफोबिया से ग्रसित व्यक्ति अपने स्वयं के रक्त या किसी अन्य
व्यक्ति के रक्त को देखकर बेचैन हो उठता है और पर बेहोश भी हो सकता है।
* अरचनोफोबिया:
इसका मतलब
है मकड़ियों का डर।
* साइनोफोबिया:
यह कुत्तों का डर है।
* ओफिडियोफोबिया:
इस फोबिया
से पीड़ित लोगों को सांप का डर होता है।
* निक्टोफोबिया:
यह फोबिया रात के समय या अंधेरे से लगने वाला भय है। बचपन में यह एक सामान्य होता है। लेकिन किशोरावस्था में जब यह बढ़ता जाता है, तो यह एक फोबिया बन जाता है।
फोबिया के क्या लक्षण हैं ?
फोबिया के लक्षण और
लक्षणों की तीव्रता या गंभीरता व्यक्तियों में अलग अलग होती है। भयग्रस्त वस्तु या स्थिति के
संपर्क में आने के बाद या कभी-कभी भय वाली वस्तु के बारे में सोचने के माध्यम से
भी फोबिक लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। कुछ मामलों में, ये
लक्षण इतने बढ़ जाते है कि पीड़ित व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है, विशिष्ट लक्षणों में शामिल हैं-
- सांस फूलना, सीने में दर्द या जकड़न
- चक्कर आना, कांपना, और हृदय गति बढ़ जाना
- मरने का डर
- जी मिचलाना
- अधिक पसीना आना
- आँखों के सामने अँधेरा छा जाना
- मुँह सूखना और बोलने में असमर्थता
- पेट की ख़राबी
- उच्च रक्तचाप
- घुटन का अनुभव होना
फोबिया के उपचार :-
फोबिया के उपचार में
चिकित्सकीय / मनोवैज्ञानिक परामर्श, उपचार पद्दतियां, और
दवाओं का आवश्यकतानुसार एकल अथवा संम्मिलित रूप से प्रयोग किया जाता है, उपचार की प्रक्रिया फोबिया ग्रस्त व्यक्ति, फोबिया
की तीव्रता और फोबिया के प्रकार पर निर्भर करती है।
यदि आपको लगता है कि आप फोबिया से ग्रस्त हैं, किसी मान्यता प्राप्त चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से उपचार लें। साथ ही इससे निपटने की दृढ
इच्छा शक्ति और विश्वास भी रखे कि, फोबिया एक बीमारी है जिसे
आप उचित चिकित्सा के साथ दूर कर सकते हैं।
फोबिया के उपचार में
विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिसमें प्रमुख हैं:-
- सिस्टमैटिक डिसेंट्रालाइजेशन
- प्रोग्रेसिव रिलैक्सेशन
- वर्चुअल रियलिटी
- मॉडलिंग
- मेडिकेशन
- हाइड्रो थेरेपी
विशेष:- इस आर्टिकल में फोबिया के सम्बन्ध में दी गयी जानकारी, मात्र आपके ज्ञान वर्धन के लिए है, किसी भी उपचार की प्रक्रिया मान्यता प्राप्त चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक के द्वारा की जाती है।
कोग्नेटिव बिहेवियर थेरपी (सीबीटी)
संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) फोबिया के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला चिकित्सीय उपचार है। इसके अंतर्गत फोबिया ग्रस्त व्यक्ति को अपने फोबिया के कारण का सामना करने दिया जाता है, यह ग्रुप में या इंडिविजुअल हो सकता है।
यह पूरी प्रक्रिया मनोचिकित्सक के नियंत्रण में
होती है और फोबिया ग्रस्त व्यक्ति को स्वयं में या अनुभव कराया जाता है कि उसका भय
अकारण है सीबीडीटी क्रमिक डिसेंट्रालाइजेशन तकनीकी के साथ बहुत ही प्रभावी है और
सीबीडीटी का प्रयोग अन्य पद्धतियों और दवाओं के साथ करने पर 90% लोगों में पद्धति सफल रही है।
एक्सपोज़र ट्रीटमेंट
एक्सपोज़र ट्रीटमेंट में, फोबिया ग्रस्त व्यक्ति को उसके भय के कारण से संपर्क में लाया जाता हैं, ताकि उन्हें अपने डर पर काबू पाने में मदद मिल सके। रोगी को पर्याप्त समय दिया जाता है। इस पद्धति का लक्ष्य व्यक्ति को उनके डर का सामना करने में मदद करना है और यह महसूस कराना है कि भयभीत वस्तु उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
काउंटर-कंडीशनिंग
फोबिया के उपचार में अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला एक और तरीका काउंटर-कंडीशनिंग है। इस पद्धति में, व्यक्ति को भय के कारण का सामना करने का अभ्यास कराया जाता है।
व्यक्ति, फोबिया के
कारण के सामने अपनी प्रतिक्रिया को रिलेक्स रखने का अभ्यास करता है, और फ़ोबिक प्रतिक्रिया धीरे-धीरे कम होती जाती है। काउंटर-कंडीशनिंग का
उपयोग अक्सर उन लोगों के साथ किया जाता है जो एक्सपोज़र ट्रीटमेंट को संभालने में
असमर्थ होते हैं, बच्चों और किशोरों के इलाज के लिए यह
तकनीकी बहुत प्रभावी हैं।
सम्मोहन चिकित्सा / हिप्नोथेरेपी
कई बार फोबिया का कारण
व्यक्ति के साथ अतीत में घटित हुई कोई दर्दनाक घटना होती है जिसकी दुखद यादें
व्यक्ति के अवचेतन मन में दबी होती हैं, हिप्नोथेरेपी
के माध्यम से, फोबिया के अंतर्निहित कारणों को उजागर
किया जाता है। सामान्य अवस्था में वह घटना व्यक्ति को याद नहीं होती है।
आभासी वास्तविकता तकनीक
फोबिया ग्रस्त व्यक्ति का
फोबिया से एक्सपोजर में, वर्तमान
में वर्चुअल रियलिटी का भी प्रयोग किया जाता है यह पद्धति परंपरागत एक्सपोजर की
भांति ही काम करती है और इसे कंट्रोल करना और फोबिया ग्रस्त व्यक्ति के अनुरूप
अनुकूलित करना अधिक आसान होता है।
एमडीआरआई (मूवमेंट डिसेंट्रलाइजेशन एंड रिप्रोसेसिंग पद्धति )
ट्रॉमा रिलेटेड फोबिया
में यह पद्धति बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई है, इसमें नियंत्रित रूप से फोबिया का सामना कराया जाता
है, जैसे कि कुत्ते से फोबिया होने पर कुत्ते की एक बाइट विशेषज्ञों द्वारा नियंत्रित परिस्थति के करवाई जाती है, जिससे फोबिया हमेशा के लिये समाप्त हो जाता है।
सिस्टमैटिक डिसेंसटाइजेशन
इसमें चरणबद्ध रूप से
फोबिया के साथ फोबिया ग्रस्त व्यक्ति का सामना होता है तथा धीरे-धीरे परामर्श और
दवाओं के माध्यम से एक्स्पोज़र को बढ़ाया जाता है और अंत में फोबिया ग्रस्त
व्यक्ति अपने फोबिया से मुक्त हो जाता है।
दवाएं
एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटी-एन्जायटी दवाएं फोबिया को शांत करने के लिए भावनात्मक और शारीरिक मदद कर सकती हैं। अक्सर, दवा और पेशेवर चिकित्सा पद्दतियों का संयोजन सबसे अधिक कारगर होता है।
यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट बाक्स में जरूर बताएं, जिससे
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