एंजायटी वर्तमान जीवन शैली में अक्सर सुना जाने वाला शब्द बन गया है । हिंदी में एंजायटी के लिए कोई विशेष शब्द नहीं है । इसे चिंता , घबराहट , त...
एंजायटी वर्तमान जीवन शैली में अक्सर सुना जाने वाला शब्द बन गया है । हिंदी में एंजायटी के लिए कोई विशेष शब्द नहीं है । इसे चिंता, घबराहट, तनाव या बेचैनी कहा जा सकता है। एंजाइटी क्या है (Anxiety kya hai), एंजायटी मानव का स्वभाव है या बीमारी? एंजाइटी से कैसे बच सकते है, और एंजाइटी का उपचार क्या है? इस आर्टिकल में हम जानेगे कि -
एंजाइटी क्या है (Anxiety kya hai )?
एंजायटी कितने प्रकार की होती है?
एंजाइटी के क्या कारण हैं?
एंजाइटी के क्या उपचार हैं?
एंजाइटी से कैसे बचे?
एंजायटी के क्या लक्षण हैं?
एंजाइटी क्या है ( Anxiety kya hai )
एंजाइटी सामान्य मानव की भावना का एक अनिवार्य तत्व है, लेकिन एंजाइटी जब बड़े और गंभीर रूप में सामने आती है, तो यही एक बीमारी बन जाती है। वर्तमान में तनाव की जीवन शैली, कैरियर की प्रतिस्पर्धा, भविष्य की अनिश्चितता आदि ऐसी चीजें हैं, जिन्होंने एंजाइटी को बहुत बढा दिया है।
शहरी जीवनशैली में एंजायटी एक उप उत्पाद बन गया है।इस कारण से एंजाइटी की सामान्य भावना और एंजाइटी की बीमारी में अंतर करना जरूरी हो गया है । हर प्रकार की एंजाइटी को हम बीमारी नहीं कह सकते। एंजाइटी मानव कि एक सामान्य भावना है, एंजायटी सामान्य रूप से कोई समस्या नहीं है। एंजायटी का प्रारंभ मानव के शारीरिक संरचना और उसके प्राकृतिक विकास से जुडा हुआ है।
मानव में एड्रिनल हार्मोन होता है, जो कि उसे किसी भी प्रकार की खतरे से सतर्क करता है, और बचाव के लिए तैयार करता है । इस हार्मोन के स्राव होते ही दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं, पसीना आने लगता है, मानव अतिसतर्क और आक्रामक हो जाता है और किसी भावी खतरे से निपटने के लिये तैयार हो जाता है, इसीलिए इसे लड़ो या भागो (फाईट आर फ्लाइट) हार्मोन भी कहा जाता है क्योकि यह मानव को शारीरिक रूप से संघर्ष करने या सुरक्षा के लिए किसी भी संभावित खतरे से भागने के लिए तैयार करता है।
आदिम काल में जब आदिमानव प्रकृति के साथ जीवन यापन करता था, तो विभिन्न हिंसक पशु और प्राकृतिक आपदाओं में वह जीवन संघर्ष करता था, और इस प्रकार की स्थितियों में यह हार्मोन ही उसे अस्तित्व की लड़ाई में अपने को बचाए रखने में मदद करता था । आज जबकि मनुष्य प्राकृतिक रूप से सुरक्षित और सामाजिक जीवन जी रहा है तो, एंजाइटी के कारण अब कैरियर, जॉब, पैसा, पारिवारिक जीवन, स्वास्थ्य, भावी असुरक्षा, सतत प्रतिस्पर्धा बन गयें हैं । इस प्रकार सामान्य रूप से देखे तो एंजायटी कोई समस्या नहीं है, बल्कि मनुष्य के लिए एक आवश्यक भावना है।
लेकिन यह एंजायटी जब नियमित रूप से बनी रहती है, और इससे जुडी हुई शारीरिक समस्याएं भी मानव व्यवहार और उसके स्वास्थ्य में लगातार बनी रहती हैं, और तब यह एक बीमारी बन जाती है, जिसका उपचार कराना आवश्यक हो जाता है । इस प्रकार यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि, एंजाइटी कब अपने सामान्य स्तर पर है, और कब वह इस स्तर पर पहुंच गई है कि, अब डॉक्टर के परामर्श किया जाना आवश्यक हो गया है ।
इस आर्टिकल में एंजायटी से जुड़े हुए सभी बातों को पर विस्तार से चर्चा की जायेगी।
एंजायटी के लक्षण -
एंजाइटी जब लंबे समय तक बनी रहती है और यह शारीरिक लक्षणों को भी प्रभावित करने लगती है अर्थात इसकी निरंतरता बनी रहती है जो सामान्य भावना में होने वाले कुछ समय के लिए ना होकर एक लंबे समय तक अस्थाई हो जाती है और इससे होने वाले शारीरिक विकार जैसे रक्तचाप का बना हुआ पसीना आना घबराहट होना नींद ना आना और मितली आना भी स्थाई होने लगते हैं तब यह एक बीमारी बन जाती है, इससे हमारा साथ सामान्य जीवन और दैनिक कार्य अस्त व्यस्त हो जाते हैं सामान्य रूप से होने वाले लक्षण निम्नलिखित है:-
- बेचैनी
- चिंता की बेकाबू भावनाएं
- चिड़चिड़ापन का बढ़ गया
- एकाग्रता में कठिनाई
- अनिंद्रा
सामान्य जनमानस में एंजायटी कोई बीमारी नहीं माना जाता है, इसलिए इसे व्यक्ति सामान्य समस्या और दैनिक जीवन
की चिंता के रूप में लेते हैं, जब तक यह शरीर पर दुष्प्रभाव नहीं डालने लगती है । यह भी देखा गया है कि, एंजाइटी
से पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं ।
एंजायटी कितने प्रकार की होती है :-
एंजायटी के लक्षण, कारण और तीव्रता के आधार पर इन्हे निम्न मुख्य रूपों में वर्गीकृत किया गया है:-
- सामान्य एंजायटी
- पैनिक डिसऑर्डर
- फोबिया
- अगोराफोबिया
- सोशल फोबिया
- अलगाव का भय
(1) सामान्य एंजायटी :-
यह एक सामान्य चिंता है तो लगातार बनी रहती है चिंता है तो लगातार
बनी रहती है है तो लगातार बनी रहती है सामान्य चिंता है तो लगातार बनी रहती है
लगातार बनी रहती है इसका कारण कुछ विशेष घटना स्थानीय समय नहीं होता बल्कि या किसी
भी कारण से हो सकती है लगातार बना रहने वाला तनाव सारी रूप से से प्रभाव दिखाने
लगता है जिससे दैनिक कार्य नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगते हैं और थकान
एकाग्रता में कमी भूख न लगना अनिद्रा आदि जैसे सारी समस्याएं पैदा होने लगती हैं
सामान्य जाति की की विशेष बात यह है कि इससे प्रभावित व्यक्ति या नहीं जान पाता कि
कि वह पाता कि कि वह किसी बीमारी का शिकार हो गया है।
(2) पैनिक डिसऑर्डर :-
पैनिक डिसऑर्डर घबराहट और बेचैनी के दौरे कुछ समय के लिए पडते हैं, और इसमें कई लक्षण एक साथ या कुछ लक्षण व्यक्ति विशेष में अलग-अलग तरह से दिखाई पड़ते हैं। यह लक्षण निम्न प्रकार से हो सकते हैं -
- हृदय गति का तेज़ होना
- पसीना आना
- कम्पन या कंपकपी होना
- सांस लेने में तकलीफ
- सीने में दर्द
- चक्कर आना, हल्की-हल्की बेहोशी आना
- सुन्नपन या झुनझुनाहट
- घुटन महसूस होना
- एकायक ठंड या गर्मी लगना
- मतली या पेट में दर्द
- स्वय को सबसे अलग एकेला महसूस करना
- नियंत्रण खोने का डर
- मरने का डर
यह दौरे कुछ मिनट से लेकर घंटों तक बने रह सकते हैं, यह सामान्य एंजायटी बीमारी के बाद हो सकते हैं अथवा सीधे भी पैनिक अटैक हो सकते हैं। क्योंकि यह लक्षण इतने गंभीर होते हैं, कि बहुत से लोग जिन्हें पैनिक अटैक का अनुभव होता है, उन्हें विश्वास हो सकता है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है या अन्य कोई जानलेवा बीमारी हो गयी है।
वर्तमान विश्व परिदृश्य में स.रा.अमेरिका
और यूरोपियन देशो में हुये आतंकवादी हमलों से इन देशो के
नागरिकों में पैनिक अटैक के मामलो की संख्या में काफी वृद्धि देखी गयी है।
(3) फोबिया :-
फोबिया एक असामान्य भय है जो किसी विशेष परिस्थिति वस्तु अथवा गतिविधि से हो सकती है। सामान्य तौर पर फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति यह जानता है कि उसका भय निराधार है, लेकिन वह अपने मनोभाव पर काबू नहीं रख पाता और जैसे ही वह उस विशिष्ट परिस्थिति या वस्तु या गतिविधि मैं स्वयं को पाता है असामान्य रूप से भयभीत हो जाता है। फोबिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।
(4) अगोराफोबिया :-
अगोराफोबिया भी एक असामान्य प्रकार का भय है, जिसमें किसी मनुष्य को लगता है कि वह किसी स्थान किसी घटना अथवा किसी
परिस्थिति में इस प्रकार फंस सकता है कि, वह वहां
से बचकर नहीं निकल पाएगा और उसे वहां कोई कोई मदद भी नहीं मिल पाएगी। इस
अगोराफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति बुरी तरह से सामान्य जीवन से अलग थलग हो जाता है।
इसमें होने वाले भय के अनुभव में कुछ प्रमुख परिस्थितियां निम्न है :-
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना
- खुली जगहों पर होना
- बंद स्थानों पर होना
- लाइन में खड़ा होना या भीड़ में होना
- घर के बाहर अकेले रहना
(5) सोशल फोबिया :-
इस प्रकार की एंजायटी से ग्रस्त व्यक्ति सामाजिक संपर्कों से दूर भागता है लोगों को संबोधित करने में नए लोगों से मिलने में और सामाजिक संपर्क बनाने से वह हमेशा बचने का प्रयास करता है, क्योंकि उसे एक भय होता है कि, वह स्वयं को व्यक्त नहीं कर पाएगा और उसे सबके सामने शर्मिंदा होना पडेगा, इस तरह शर्मिंदगी से बचने के लिए वह ऐसी परिस्थितियों में जाने से स्वयं को बचाता है।
सोशल फोबिया का एक प्रकार, सलेक्टिव म्यूटिज्म भी है । यह भी एक प्रकार का विशिष्ट भय है, जो बच्चों में पाया जाता है। कई बार यह देखा जाता है कि बच्चे जो बातें अपने परिवार में या मित्रों में कह सकते हैं, वही बातें वे अपने स्कूल में अपनी टीचर के सामने अथवा किसी मंच पर नहीं कह पाते, इसे ही सलेक्टिव म्यूटिज्म कहा जाता है।
फोबिया से डरे नहीं, जाने कि फोबिया क्या है
(Phobia kya hai) ? फोबिया के कारण, लक्षण,
और उपचार।
(6) अलगाव का भय :-
अलगाव एंजायटी से ग्रस्त व्यक्ति अत्यधिक भयभीत होता है, यह व्यक्ति लगातार अपने या अपने निकटतम व्यक्ति को खोने या उनसे अलग
होने के बारे में चिंतित रहता है, जिनके
साथ वह भावनात्मक रूप से जुडा है। अलगाव की कल्पना से वह सदा भयभीत रहता है। अलगाव
की एंजायटी सामान्य रूप से बचपन में विकसित होती है और कभी कभी वयस्क होने तक भी
बनी रहती है।
एंजाइटी के कारण:-
एंजाइटी की बीमारी कारण बहुत जटिल है यह कोई एक हो सकते हैं या कई
कारणों का मिश्रित प्रभाव भी हो सकता है,कभी-कभी
यह अनुवांशिक भी होते हैं।
संभावित कारणों में शामिल हैं:
- परिस्थितिजन्य तनाव, जैसे काम में कठिनाई, रिश्ते की समस्याएं, या परिवार के मुद्दे
- आनुवांशिक कारण
- चिकित्सा कारक, जैसे किसी विशेष बीमारी के लक्षण, किसी विशेष दवा का प्रभाव, किसी गहनसर्जरीका प्रभाव या लंबे समय तक चलने
वाली रिकवरी का तनाव
- मस्तिष्क में होने वाले कुछ हार्मोनों का असंतुलन
या कुछ रसायनों का स्राव
- किसी मादक द्रव्य को या नशीले पदार्थ को छोड़ देना
भी एंजायटी का संभावित कारण हो सकता हैं।
एंजाइटी का क्या उपचार हैं?
इस बीमारी को पहचान पाना ही बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके लक्षण इतने मिश्रित और सामान्य जीवन शैली से जुड़े होते
हैं, कि उन्हें एक बीमारी के रूप में अलग से पहचान पाना
बहुत मुश्किल होता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को स्वयं यह नहीं पता होता कि
वह किसी बीमारी से ग्रस्त है और उसे किसी विशेषज्ञ की आवश्यकता है।
कई बार एंजाइटी के कारण कुछ अलग होते हैं, जैसे कि शराब पर निर्भरता, डिप्रेशन, या कोई अन्य बीमारी भी हो सकती है, ऐसे में यह महत्वपूर्ण जाता है कि पहले प्राथमिक समस्या का उपचार किया जाए क्योंकि बिना प्राथमिक समस्या की समाप्ति के एंजाइटी का उपचार नहीं किया जा सकता है।
एंजायटी के उपचार में कई पद्धतियों का मिश्रित प्रयोग किया जाता है, जैसे कि दवाओं का प्रयोग, मनोचिकित्सक के साथ काउंसलिंग, और जीवन शैली में बदलाव, का एक साथ प्रयोग। एंग्जायटी के उपचार को भी दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है; एंग्जायटी के घरेलू उपाय, विशेषज्ञ की सहायता से उपचार।
एंग्जायटी के घरेलू उपचार
· घरेलू उपचार कारगर होता है, लेकिन यह उन्हीं परिस्थितियों में उपयोगी है जब एंजायटी का प्रभाव सीमित और अल्पकालिक है। यदि एंजायटी अपने गंभीर और प्रभावी रूप में दिख रही है, तथा शारीरिक गतिविधियों पर का प्रभाव डाल रही है, तो ऐसे में विशेषज्ञ की सहायता लेनी चाहिए। उक्त दोनों उपचार साथ ही चल सकते हैं अर्थात की विशेषज्ञ की सहायता के साथ उसके निर्देशन में स्वउपचार भी पर्याप्त लाभदाई होता है। स्वउपचार के कई प्रकार है:-
घरेलू उपचार
कुछ मामलों में, यदि व्यक्ति को अपनी एंजायटी की स्थिति का आभास है
तो वह घर पर एंजायटी का इलाज शुरू कर सकता है। हालांकि, यह गंभीर या दीर्घकालिक एंजायटी के लिए
प्रभावी नहीं हो सकता है। अल्पकालिक एंजायटी से निपटने में मदद करने के लिए निम्न कई अभ्यास और क्रियाएं शामिल
हैं:
• तनाव प्रबंधन:-
तनाव का प्रबंधन एंजायटी को कम करने
में बहुत लाभदायक है। तनाव प्रबंधन में किये जाने वाले कुछ प्रमुख कार्यों के
उदाहरण है दैनिक जीवन व्यवस्थित करना, आने वाले कार्य और चुनौतियों की रूपरेखा तैयार करना, और उनके कार्य निर्धारण को समयबद्ध रूप से करने की
कार्य योजना बनाना, कार्य से इतर भी अपने सामान्य दैनिक जीवन में अपनी
हॉबी के लिये समय निर्धारित करना आदि।
• रिलैक्सेसन (आराम) की तकनीक:-
रिलैक्सेसन से अर्थ केवल शारीरिक आराम से नहीं है, बल्कि मन और शरीर के पूर्ण विश्राम से है, लगातार कार्य करने के बाद किया जाने वाला रिलैक्सेशन मनुष्य को नई ऊर्जा और नए जोश से फिर से कार्य करने के लिए तैयार कर देता है, रिलैक्सेसन तकनीकों में प्रमुख है-
- प्राणायाम,
- योग,
- मैडिटेशन,
- हंसना,
- डांस नृत्य-संगीत,
- स्पा बाथ मसाज आदि,
• नेचर वॉक:-
यदि संभव हो तो किसी प्रकृति से भरपूर
पहाड़ी, समुद्री क्षेत्र अथवा जंगल आदि में, या यह संभव न हो तो अपने शहर के किसी पार्क में प्रकृति के बीच थोड़ा
समय गुजारना, एंजायटी को कम करने में बहुत उपयोगी है।
• सकारात्मकता का अभ्यास:-
नकारात्मक विचारों को दूर करने और सकारात्मकता को
पाने का भी अभ्यास किया जाना चाहिए, इसके लिए
किसी सारणी अथवा फ्लो प्रोसेस चार्ट का प्रयोग भी किया जा सकता है। जिसमें सभी
तनाव के कारण और नकारात्मक कारणों को लिख कर, उनके
समाधान और उपायों को लिखा जाता है। प्रायः देखा जाता है कि नकारात्मकता के कारणों
से अधिक, एक आदत बन जाती है, और इसे अभ्यास के द्वारा समाप्त किया जा सकता है, एक विशिष्ट भय/तनाव का सफलतापूर्वक सामना करने और जीतने का मानसिक
अभ्यास करना भी आवश्यक है। यह कहावत है कि यदि आप लगातार गहरे कुएं की ओर देखते
हैं तो कुछ देर बाद वह भी आपको देखने लगता है, नकारात्मकता के भाव कुछ इसी तरह मानसिकता पर हावी होते हैं, और उन्हें सकारात्मक के सफल अभ्यास से दूर किया जा सकता है।
• पारिवारिक और सामाजिक सहयोग:-
परिवार के सदस्यों मित्रों का सहयोग एंजायटी से
ग्रस्त व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा सपोर्ट सिस्टम होता है। संयुक्त परिवार में यह
सपोर्ट सिस्टम बहुत मजबूत होता था, लेकिन
वर्तमान परिवेश में जब एकल परिवारों की संख्या बढ़ती जा रही है तो, ऐसे में ऐसा सपोर्ट सिस्टम मिलना मुश्किल होता जा रहा है। इसके
विकल्प के रूप में अब ऑनलाइन और प्रोफेशनल सपोर्ट नेटवर्क भी विकसित हो रहे हैं।
• व्यायाम:-
व्यायाम से न सिर्फ शारीरिक शक्ति आती है, और शरीर में रक्त प्रवाह तेज होता है जिससे शरीरिक और मानसिक ताजगी आती है। व्यायाम से मस्तिष्क में ऐसे
रसायनों का स्राव होता है,
जो सकारात्मकता लाते हैं।
विशेषज्ञ की सहायता से उपचार
यदि एंजाइटी गंभीर स्थिति में आ जाती है तो, विशेषज्ञ/ डॉक्टर से सलाह अनिवार्य है। वर्तमान में एंजाइटी में
सीबीटी (कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी) बहुत कारगर साबित हो रही है। यह एक प्रकार की मनोचिकित्सा
है, जिसमें मनोवैज्ञानिक परामर्श और उपचारों का एक
संयोजन होता है, जिसका उद्देश्य हानिकारक विचार पैटर्न को पहचानना
और बदलना है, जो चिंताजनक और परेशान करने वाली भावनाओं का कारण
बनते हैं।
डॉक्टर एंजाइटी के उपचार में विभिन्न प्रकार की दवाओ का प्रयोग करते हैं –
· शारीरिक और मानसिक लक्षणों
को नियंत्रित करने वाली दवाओं में एंटीडिप्रेसेंट, बेंजोडायजेपाइन, ट्राईसाइक्लिक, और बीटा-ब्लॉकर्स शामिल हो सकते हैं।एंटीडिप्रेसन्ट का प्रयोग आमतौर पर डॉक्टर तनाव और
अवसाद के लक्षणों में करते हैं, अब
सेरोटोनिन रीपटेक इनहिबिटर्स (एसएसआरआई) का उपयोग किया जाता हैं, जिनके पुराने एंटीडिपेंटेंट्स की तुलना में कम
साइड इफेक्ट होते हैं, लेकिन जब उपचार शुरू होता है तो झटके, मतली और यौन रोग होने की संभावना होती है।
· उपयोग की जा सकने वाली अन्य दवायें हैं:-
• मोनोमाइन ऑक्सीडेज इनहिबिटर (MAOI)
• बीटा अवरोधक
• बसपिरोंन (Buspirone)
विशेष:-
किसी भी प्रकार की दवा या उपचार का प्रयोग डॉक्टर/विशेषज्ञ की सलाह से ही करे, इस आर्टिकल मे दी गयी जानकारी कोई चिकित्सकीय परामर्श नहीं है, इसका उद्देश्य मात्र विषय पर आपको जागरूक करना है।
एंजाइटी से कैसे बचे?
बचाव उपचार से सदैव बेहतर होता है। यह बात सदैव ध्यान में
होनी चाहिए कि, वर्तमान जीवन शैली में एंजाइटी सामान्य बात है और
प्रत्येक व्यक्ति को जीवन के किसी ने किसी चरण में एंजाइटी से गुजरना पड़ता है, इसका एहसास होते ही विशेषज्ञ से परामर्श लेने में जरा भी हिचक नहीं
करनी चाहिए। एंजाइटी के स्वउपचार ही एंजाइटी के बचाव भी है। निम्न उपाय एंजाइटी की
तीव्रता कम करने में उपयोगी है :-
• कैफीन, चाय, कोला और चॉकलेट का सेवन कम करें।
• स्वस्थ आहार बनाए रखें।
• एक नियमित नींद पैटर्न रखें, नींद की पर्याप्त मात्रा भी शारीरिक और मानसिक रिलैक्सेशन के लिए
बहुत जरूरी है।
• शराब, भांग और अन्य मादक पदार्थों से बचें।
इसके इस प्रकार यह ध्यान रखना चाहिए कि एंजाइटी एक सामान्य मानव भावना है, और एक आवश्यक बुराई (नेसेसरी ईविल) के रूप में है, इसे स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हानिकारक स्तर से नीचे और नियंत्रण में रखा जा सकता है तथा इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
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