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डिप्रेशन क्या है | डिप्रेशन के नुकसान | डिप्रेशन से बाहर निकलने के उपाय | डिप्रेशन का घरेलू उपचार

इस आर्टिकल में डिप्रेशन से बाहर निकलने के उपाय बताए गए हैं, और यह प्रयास किया गया है कि डिप्रेशन को लेकर लोगों में जागरूकता लाई जा सके, इसक...

इस आर्टिकल में डिप्रेशन से बाहर निकलने के उपाय बताए गए हैं, और यह प्रयास किया गया है कि डिप्रेशन को लेकर लोगों में जागरूकता लाई जा सके, इसके साथ ही डिप्रेशन का घरेलू उपचार किस प्रकार किया जा सकता है, और एक स्वस्थ जीवन शैली और कुछ उपायों को अपनाकर किस प्रकार डिप्रेशन को रोका जा सकता है - 

डिप्रेशन क्या है
डिप्रेशन के प्रति सामाजिक जागरूकता
डिप्रेशन से बाहर निकलने के उपाय
शारीरिक व्यायाम, प्राणायाम
विश्राम (रिलैक्स) का अभ्यास
रुचियां (हॉबी) को समय देना
सामाजिक संबंध
एक एंटी डिप्रेशन टूल किट बनाना
आहार का संतुलन
मनोंचिकित्सक से परामर्श

 डिप्रेशन क्या है

वर्तमान जीवन शैली में प्रतिस्पर्धा तकनीकी और आगे निकलने की होड़ ने कुछ नए प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है अवसाद भी उन्हीं में से एक है  अवसाद के प्रति समाज में जागरूकता की काफी कमी है, परंतु वर्तमान में अवसाद के प्रति लोगों में सोच में परिवर्तन हुआ है 

अवसाद, सामान्य बीमारी की तरह एक बीमारी है, और इसका उपचार किया जा सकता है, और इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है अवसाद की बढ़ती समस्याओं के कारण इस पर कई तरह के शोध कार्य किए जा रहे हैंमानव मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर होते हैं, जो हमारे व्यवहार, गतिविधियों, उत्साह, आत्मविश्वास, खुशी आदि मनोभावों को नियंत्रित करते हैं  इन न्यूरोट्रांसमीटर में सेरोटोनिन, डोपामिन आदि हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सेरोटोनिन है, यह देखा गया है कि, सेरोटोनिन की मात्रा कम या असंतुलित होने पर अवसाद की समस्या होती है 

डिप्रेशन के प्रति सामाजिक जागरूकता

अवसाद के प्रति समाज में जागरूकता लाना बहुत ही आवश्यक है, मानसिक स्वास्थ्य आज भी समाज में एक नकारात्मक चर्चा का विषय है, यदि कोई व्यक्ति अवसाद में है, तो उसकी गतिविधियों से अन्य व्यक्तियों को यह प्रतीत होता है कि, वह मानसिक रूप से कमजोर है, जबकि वास्तविकता में वह एक मानसिक बीमारी से जूझ रहा होता है 

इसका मुख्य कारण है की, मानसिक स्वास्थ्य और अवसाद संबंधी मामलों में समाज में जानकारी की भारी कमी है, ग्रामीण समाज में आज भी और अवसाद  ग्रस्त व्यक्तियों के व्यवहार को किसी भूत-प्रेत का साया का प्रभाव मानकर झाड़-फूंक  करवाए जाते हैं 

शिक्षित समाज में भी ऐसे झाड़-फूंक के कार्य किए जाते हैं, समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति नकारात्मक छवि बनने के कारण अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपनी समस्याओं को छुपाता है, और खुलकर अपने परिजनों और मित्रों से सहयोग नहीं ले पाता, जिसके  कारण यह समस्या और भी अधिक बढ़ जाती है 

वर्तमान में अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़ी कंपनियों में तनाव प्रबंधन के संबंध में सेमिनार और परामर्श शिविर आयोजित किए जाते हैं, जो कि एक बहुत अच्छी पहल है, मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में भी शामिल किया जाना चाहिए, जिससे कि बच्चे और किशोर अपने भावी जीवन में इन समस्याओं के प्रति जागरूक रहें, और ना सिर्फ स्वयं का बल्कि अपने पारिवारिक सदस्यों, मित्रों का भी ध्यान रख सके 

डिप्रेशन से बाहर निकलने के उपाय 

अवसाद के प्रकार, लक्षण,कारण और उपचार पर हम इससे पहले के आर्टिकल में चर्चा कर चुके हैं, उस आर्टिकल को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें इस आर्टिकल में हम या जानेंगे कि किस प्रकार डिप्रेशन का घरेलू उपचार करें, अर्थात हम अपने जीवन शैली में परिवर्तन करके न सिर्फ अवसाद से बच पाएंगे, बल्कि अपने को अधिक चुस्त-दुरुस्त ऊर्जावान और सकारात्मक रख पाएंगे- 


  • शारीरिक व्यायाम, प्राणायाम
  • विश्राम (रिलैक्स) का अभ्यास
  • रुचियां (हॉबी) को समय देना
  • सामाजिक संबंध
  • एक एंटी डिप्रेशन टूल किट बनाना
  • आहार का संतुलन

 शारीरिक व्यायाम, प्राणायाम :-

"तंदुरुस्ती हजार नियामत है", "एक स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ मस्तिष्क रहता है", यह कहावतें सदियों से हमने पढ़ी और सुनी है, ये आज भी उतनी ही प्रासंगिक है शरीर मन से जुड़ा होता है, शरीर जितना स्वस्थ होगा मन भी उतना ही प्रसन्न रहता है, इसीलिए हमें अपने जीवनचर्या में शारीरिक व्यायाम को किसी भी रूप में चाहे वह-

  • जिम जाना हो
  • साइकिलिंग करना हो
  • दौड़ना हो
  • घर पर व्यायाम हो
  • आसन हो, अवश्य करना चाहिए, शारीरिक थकावट हमें मानसिक ताजगी देती है

इसी प्रकार हमें प्राणायाम (ब्रीदिंग एक्सरसाइज), कपाल भारती, योग, मेडिटेशन आदि को भी दिन में कुछ समय जरूर देना चाहिए, यह हमारे शरीर और मन को नई ऊर्जा से भर देते हैं

शोध से पता चलता है कि, नियमित व्यायाम, अवसाद के लक्षणों से राहत के लिए दवा की तरह ही प्रभावी हो सकता है। एक बार जब आप ठीक हो जाते हैं, तो यह पुनरावृत्ति को रोकने में भी मदद करता है।

प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करने का लक्ष्य अवश्य रखें। यह सब एक साथ होना आवश्यक नहीं है, शुरुवात छोटे से की जा सकती है। 10 मिनट की सैर दो घंटे तक आपके मूड को बेहतर बना सकती है। जब आप उदास हैं, और थकावट महसूस कर रहे हैं, तो व्यायाम शुरू करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन शोध से पता चलता है कि, अगर आप इसे जारी रखेंगे तो आपकी ऊर्जा के स्तर में सुधार होगा। नियमित व्यायाम से आपका उर्जा का स्तर बढ़ेगा, थकान में कमी होगी।

ऐसे व्यायाम करें, जिनमें निरंतरता और लयबध्ता हों। अवसाद में लयबद्ध व्यायाम सबसे अधिक लाभदायी होते हैं, जैसे चलना, भार प्रशिक्षण, तैराकी, मार्शल आर्ट, एरोबिक्स या नृत्य आदि, जहाँ आप अपने दोनों हाथ और पैर हिलाते हैं। इस बात पर ध्यान दें कि, जब आप चलते हैं, तो आपका शरीर कैसा महसूस करता है, जैसे कि आपके पैरों का जमीन से टकराना, या आपकी त्वचा पर हवा का अहसास, या आपकी सांस लेने की लय।

व्यायाम में मित्रों के साथ ग्रुप बनायें, साथ में व्यायाम करे, यह सामाजिकता आपको प्रेरित रखने में सहायक होगी। अपने क्षेत्र में उपलब्ध सुविधा के अनुसार आप रनिंग, साइक्लिंग, एरोबिक्स, क्लब में शामिल हो सकते हैं, वाटर एरोबिक्स या डांस क्लास ज्वाइन कर सकते हैं, टेनिस, सॉकर या वॉलीबॉल लीग में नामांकन करवा सकते हैं, आदि।

विश्राम (रिलैक्स) का अभ्यास:-

हमारे जीवन के लिए सक्रिय और क्रियाशील रहना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है, अपने शरीर और मन को भरपूर आराम देना आराम देने से तात्पर्य है, दैनिक आराम, साप्ताहिक आराम, और वार्षिक आराम। 

दैनिक आराम

दैनिक आराम के अंतर्गत व्यक्ति को 24 घंटे में 7 से 8 घंटे की एक भरपूर नींद लेनी चाहिए प्रायः देखा जाता है कि, वर्तमान कार्यशैली में देर रात तक कार्य करना सामान्य सी बात है, परंतु इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, हम अपने दैनिक कार्यों को इस प्रकार व्यवस्थित करें की, रात्रि 11:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक का समय हमारी नींद के समय में जरूर शामिल हो। अर्थात की देर रात्रि को सोना और सुबह देर से उठना (भले ही हमने 7 से 8 घंटे की नींद पूरी की है) हमें मानसिक ताजगी नहीं दे पाता। 

साप्ताहिक आराम

साप्ताहिक आराम से तात्पर्य है कि, साप्ताहिक छुट्टी, शनिवार और रविवार का दिन हमें अपने लिये व्यतीत करना चाहिए, इस दिन हम अपनी रुचि के कार्य कर सकते हैं, अपने परिवार के साथ समय व्यतीत कर सकतें हैं या हम आसपास अपने पसंदीदा स्थानों पर घूमने भी जा सकते हैं। यह सारी गतिविधियां हमें सप्ताह भर के भारी कार्य बोझ के दबाव से मुक्त कर देती हैं, और अगले सप्ताह के लिए भी शारीरिक और मानसिक रूप से ऊर्जावान करती है। 

वार्षिक आराम

वार्षिक आराम, इस से तात्पर्य है कि वर्ष में एक बार हमें अपने बजट के अनुरूप अपने आसपास के किसी पसंदीदा स्थान पर अपने मित्रों और अपने परिवार के साथ अवश्य जाना चाहिए। 

प्रायः व्यक्ति कार्य अधिकता और उसे शीघ्र निपटा लेने की जल्दी में आराम को भूल जाता है, लेकिन यह अवश्य ध्यान में रखे कि कार्य और विश्राम एक चक्र है, दोनों का साथ होना अवश्यक है, कम अवधि में विश्राम के समय कार्य आपके लाभ डे सकता है, परन्तु दीर्घ काल में कार्य क्षमता बुरी तरह प्रभावित होगी, और अंतिम परिणाम हमारे स्वास्थ्य और कार्य दोनों में गिरावट के रूप में सामने आयेगा। 

रुचियां (हॉबी) को समय देना :-

प्रत्येक व्यक्ति की कुछ न कुछ रुचि (हॉबी) अवश्य होती है, जिसे करने से वह आनंदित होता है, लेकिन काम के बोझ से धीरे-धीरे हम इन्हें भूलते जाते हैं, जो कि उचित नहीं होता, हमें अपनी रूचि के कार्य अवश्य करने चाहिए और अपना कुछ समय उनके साथ व्यतीत करना चाहिए, जैसे कि पेंटिंग, डांस, संगीत, रीडिंग, गार्डनिंग, या अपनी पसंदीदा मूवी देखना आदि।

कुछ व्यक्तियों को लगता है कि उनकी कोई हॉबी नहीं है, वास्तव में ऐसा नहीं होता, प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ कार्य करना पसंद होता है, आप उन सभी कार्यों की लिस्ट बना सकते हैं, जिन्हें करके आपको अच्छा लगता है, इन कार्यों को अपनी वरीयता और सुविधा अनुसार आप कर सकते हैं। यही आप की हॉबी बन जाती हैं।

अपनी हॉबी पर कार्य करने और उसे विकसित करने की कोई उम्र नहीं होती, संगीत, कला या लेखन के माध्यम से आप स्वयं को रचनात्मक रूप से अभिव्यक्त कर सकते हैं। ये कार्य हमें मानसिक संतोष देते है और आनंदित करते है।     

सामाजिक संबंध:-

मानव सामाजिक प्राणी है, वह सदैव से समाज में रहता है, उसे अपनापन, लगाव और प्यार की सदैव आवश्यकता होती है। वर्तमान जीवन शैली का एकाकीपन,व्यस्तता व्यक्ति को उसके मूल स्वभाव से दूर करती है, जो उसे अवसादग्रस्त कर देता है। 

एकाकीपन मनुष्य को मानसिक रूप से कमजोर करता है। अपने काम की व्यस्तता के बीच में सामाजिक संबंधों को बनाए रखना भी आवश्यक है। हमें परिवार, मित्र, रिश्तेदार अथवा अच्छे पड़ोसियों का साथ बहुत आवश्यक होता है। 

सामाजिक गतिविधियों में भाग ले, और यथासंभव दूसरों की मदद करें, विभिन्न शोधों से यह ज्ञात हुआ है कि दूसरों की मदद करना आपको मानसिक सुख और मजबूती देता है। 

जब भी हम अवसाद में अथवा अवसाद के लक्षणों को महसूस करें, तो हमें अपनी समस्या अपने निकटतम व्यक्ति से बिना शर्म अथवा झिझक के जरूर बतानी चाहिए, यदि संभव हो तो अपने निकटतम मित्र या परिजन के साथ मनोचिकित्सक के पास जाएं इससे आपको भावनात्मक मजबूती मिलेगी 

अन्य अवसाद  ग्रस्त व्यक्तियों, या कभी अवसाद में रहे व्यक्तियों का आपसी समूह बनाए, अपनी समस्याएं, और आपने उनका सामना कैसे किया यह अनुभव सभी से साझा करें, अन्य लोगों की समस्या और समाधान को भी धैर्य पूर्वक सुने। 

  • सामाजिक संबंधों में बने रहने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय- 
  • अपनी भावनाओं को अपने प्रिय मित्र/परिजन से साझा करें।
  • स्वेच्छा से किसी और की मदद करें।
  • किसी दोस्त के साथ लंच या कॉफी पर जाये।
  • संगीत कार्यक्रम, या समारोह में शामिल हों।
  • किसी पुराने मित्र को कॉल या ईमेल करें। 
  • कसरत करने वाले दोस्त के साथ टहलने जाएं।
  • साप्ताहिक डिनर की डेट निर्धारित करें।
  • पालतू जानवरों की देखभाल करें।
  • क्लब ज्वाइन करके नए लोगों से मिलें।
  • मनोचिकित्सक, शिक्षक, या खेल प्रशिक्षक में विश्वास करें।
  • पालतू जानवरों की देखभाल करें।

 एक एंटी डिप्रेशन टूल किट बनाना -

टूल किट से यह तात्पर्य है कि, उन सभी चीजों और कार्यों की एक सूची बनाएं जो आपको रिलैक्स करती हैं, जैसे कि कोई संगीत सुनना, कोई मूवी देखना, किसी खास मित्र से बात करना आदि। आपकी टूल किट में जितने अधिक "उपकरण" होंगे, अवसाद से निपटने के लिए यह उतना ही कारगर होगा। 

हर दिन इनमें से कुछ  चीजों को आजमाएं और अपने टूलकिट को बेहतर करते रहे, भले ही उस दिन आप अच्छा महसूस कर रहे होंआपकी टूल किट कैसी हो सकती है, इसका कुछ उदाहरण नीचे दिए गया है, आप इनमें से कुछ का चयन कर सकते हैं, अथवा आप अपने व्यक्तित्व के हिसाब से अपना टूलकिट निर्धारित कर सकते हैं-  

  • प्रकृति में कुछ समय बिताएं।
  • सूचीबद्ध करें कि आपको अपने बारे में क्या पसंद है।
  • एक अच्छी किताब पढ़ें।
  • कोई फनी मूवी या टीवी शो देखें।
  • एक लंबा, गर्म स्नान करें।
  • स्वयं के प्रयासों को सम्मानित और पुरस्कृत करें।
  • घर के छोटे-छोटे काम करें।
  • पालतू जानवर के साथ खेलें।
  • दोस्तों या परिवार से आमने-सामने बात करें।
  • संगीत सुनें।
  • बागवानी करें।

आहार का संतुलन -

हम जो भी खाते हैं, हमारे शरीर और मन पर उसका सीधा प्रभाव होता है, भारत में सात्विक तामसिक और राजसिक प्रवृत्तियों का वर्णन किया गया है, और इन्हीं के अनुरूप सात्विक राजसिक और तामसिक आहार भी बताए गए हैं।

मांसाहार, अधिक तेल मसाले वाला भोजन सात्विक नहीं माना जाता, और इसी कारण ऋषि-मुनियों और सन्यासियों को तामसिक और राजसिक आहार निषिद्ध था। 

अपने आहार में हरी सब्जियां, साबुत अनाज, साग, बींस(फलियाँ), खट्टे फल, मौसमी फल, मौसमी सब्जियां, दूध और दूध से बने पदार्थ, दही, पनीर आदि खाद्य पदार्थों को शामिल करें। 

यदि आप मांसाहारी हैं, तो मांस मछली अंडे आदि का सेवन भी कर सकते हैं, परंतु इन्हें पकाने में न्यूनतम तेल और मसालों का प्रयोग किया जाना चाहिए।  

सामान्य भोजन के अतिरिक्त  विटामिन बी के सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं, चिकित्सक के परामर्श पर विटामिन डी लेना भी अवसाद में लाभदायक होता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों भी लेने चाहियें। यदि आप मांसाहार करते हैं तो वसायुक्त मछली का सेवन कर सकते हैं, अन्यथा की स्थिति में चिकित्सक के परामर्श से ओमेगा 3 फैटी एसिड के सप्लीमेंट भी लिए जा सकते हैं।

ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें जो आपके मस्तिष्क और मनोदशा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे कि कैफीन, शराब, ट्रांस-वसा, और सरक्षित (प्रीजर्वड) खाद्य पदार्थ आदि। मीठे खाद्य पदार्थ, जंक फूड, प्रोसैस्ड फूड, और तले हुए खाद्य पदार्थ से बचना चाहिए। अपने दैनिक भोजन को इस प्रकार व्यवस्थित करना चाहिए कि, प्रत्येक 3 या 4 घंटे में कुछ ना कुछ खाते रहें, बजाय इसके कि एक या दो बार भारी भोजन किया जाए। 

मनोंचिकित्सक से परामर्श

ऊपर दिए गए उपायों को अपनाते हुए भी आप मनोचिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं, यह आवश्यक नहीं है कि गंभीर लक्षणों के पश्चात ही मनोचिकित्सक का परामर्श लिया जाए। जैसे ही आपको अवसाद जैसे कोई भी लक्षण प्रकट होते हैं आप को तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श  लेना चाहिए। जब भी हम अवसाद में अथवा अवसाद के लक्षणों को महसूस करें, तो हमें अपनी समस्या अपने निकटतम व्यक्ति से जरूर बतानी चाहिए, यदि संभव हो तो अपने निकटतम मित्र या परिजन के साथ मनोचिकित्सक के पास जाएं इससे आपको भावनात्मक मजबूती मिलेगी   


मनोचिकित्सक से मिलने से पहले कुछ बातें अपने मन में पूरी तरह से निश्चित कर ले:-

अवसाद एक बीमारी है और इसका इलाज करके इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।

आपका जीवन अनमोल है यदि कोई नकारात्मक विचार जैसे कि, "आपका जीवन व्यर्थ है या आत्म हत्या के विचार"  मन में आ रहे हैं, तो इसका कारण अवसाद की बीमारी है। जिसका पूरी तरह से इलाज किया जा सकता है।  

अपने  मनोचिकित्सक पर पूर्ण विश्वास करना है और उसके दिए गए परामर्श का पूरी तरह से पालन करना है

विशेष:- किसी भी प्रकार की दवा या उपचार का प्रयोग डॉक्टर/विशेषज्ञ की सलाह से ही करे, इस आर्टिकल मे दी गयी जानकारी कोई चिकित्सकीय परामर्श नहीं है, इसका उद्देश्य मात्र विषय पर आपको जागरूक करना है। 

यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट बाक्स में जरूर बताएंजिससे आर्टिकल में सुधार कर, इसे और उपयोगी बनाया जा सकेआर्टिकल  को पूरा पढने के लिए धन्यवाद ....🙏

 

 

 

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