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कीमोथेरेपी क्या है | कीमोथेरेपी क्यों किया जाता है | कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट

कीमोथेरेपी को लेकर लोगों के मन में विभिन्न प्रकार की जिज्ञासा डर और संशय बना रहता है, इस आर्टिकल में यह प्रयास किया गया है कि, कीमोथेरेपी के...

कीमोथेरेपी को लेकर लोगों के मन में विभिन्न प्रकार की जिज्ञासा डर और संशय बना रहता है, इस आर्टिकल में यह प्रयास किया गया है कि, कीमोथेरेपी के बारे में लोगों सही जानकारी दी जा सके, इस आर्टिकल में हम यह जानेंगे कि-

कीमोथेरेपी क्या है
कीमोथेरेपी का उपयोग क्यों किया जाता है
कीमोथेरेपी से पूर्व तैयारी
कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट


कीमोथेरेपी क्या है 


कीमोथेरेपी कैंसर का उपचार करने के लिए एक प्रमुख उपचार प्रक्रिया है जिसमें दवाओं रसायनों के माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने और उन में हो रही वृद्धि को रोका जाता है। 


कीमोथेरेपी को प्रायः अन्य उपचार पद्धति रेडियोथैरेपी सर्जरी आदि के साथ शामिल किया जाता है।


कीमोथेरेपी में दवाओं को समानता इंजेक्शन के माध्यम से नसों में दिया जाता है, कुछ दवाओं को ओरल डोज के रूप में मुंह से भी दिया जाता है।


कीमोथेरेपी क्यों किया जाता है


कैंसर का मूल कारण शरीर की वह कोशिकाएं होती हैं, जो असामान्य रूप से विभाजित होती हैं, और अपने मूल स्थान से अन्य अंगों की ओर रक्त के माध्यम से फैलने लगती हैं, ऐसी स्थिति में कीमोथेरेपी बहुत उपयोगी होती है। यह निम्न प्रकार से शरीर पर अपना प्रभाव डालती है-


👉शरीर में कैंसर कोशिकाओं की संख्या को कम करती है। 

👉कैंसर कोशिकाओं के फैलाव को रोकती है। 

👉ट्यूमर के साइज को छोटा करती है। 

👉कैंसर के लक्षणों को कम करती है।  

👉सुप्त रूप में अथवा छुपी हुई कैंसर कोशिकाओं को समाप्त कर देती है। 

👉कैंसर की सर्जरी के बाद भी कुछ छुपे हुए कैंसर सेल शरीर में बच्चे रह सकते हैं, कीमोथेरेपी उन को समाप्त करने में बहुत उपयोगी होती है।

👉ब्लड कैंसर के मामले में भी कीमोथेरेपी विशेष रुप से उपयोगी होती है।

👉ब्रेस्ट कैंसर में भी सर्जरी के बाद बेस्ट को हटाने के पश्चात कीमोथेरेपी के माध्यम से छुपे हुए कैंसर सेल को समाप्त किया जाता है।

👉कई बार जब कैंसर लेट स्टेज में होता है, और कोई अन्य उपचार प्रभावी नहीं रह जाता, ऐसी स्थिति में भी कीमोथेरेपी से कैंसर कोशिकाओं को कम करने में सहायता मिलती है, और दर्द में भी कमी होती है।

👉कैंसर के अतिरिक्त बोन मैरो संबंधी रोग में, इम्यून सिस्टम डिसऑर्डर मे भी कीमोथेरेपी उपयोगी होती है।


कीमोथेरेपी से पूर्व तैयारी


कीमोथेरेपी से पूर्व बीमार व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक रूप से तैयारी आवश्यक है, कीमोथेरेपी के प्रति समाज में एक डर और हताशा की स्थिति है, ऐसे में बीमार चिकित्सक के अतिरिक्त बीमार व्यक्ति के परिजनों और मित्रों का हौसला बढ़ाने में और मानसिक रूप से कीमोथेरेपी हेतु तैयार करने में बहुत बड़ी भूमिका होती है।


कीमोथेरेपी से पूर्व डॉ अलग-अलग स्थितियों में विभिन्न प्रकार की शारीरिक जांच कराते हैं, जिसका उद्देश्य यह जानना होता है कि, व्यक्ति कीमोथेरेपी के लिए शारीरिक रूप से तैयार है अथवा नहीं, इसमें सामान्यता ब्लड टेस्ट, लिवर टेस्ट, किडनी टेस्ट और हार्ट की जांच की जाती है।


कीमोथेरेपी से पूर्व मसूड़ों और दांतों के इंफेक्शन की भी जांच की जाती है, क्योंकि कीमोथेरेपी से शरीर की स्वयं को रिकवर करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे यह इंफेक्शन संपूर्ण शरीर में फैल सकता है।


नसों के माध्यम से दवा देने के क्रम में डॉक्टर सीने पर कंधे के पास एक पोर्ट लगाते हैं, जिससे दवा को इंजेक्ट करने में आसानी होती है।


कीमोथेरेपी में बीमार के साथ उनके उसके परिजनों को भी तैयार होना होता है, कीमोथेरेपी के पश्चात बीमार व्यक्ति में बहुत कमजोरी आ जाती है, ऐसी स्थिति में उसे एक सहायक की आवश्यकता होती है।  इसके अतिरिक्त बीमार के साथ के व्यक्तियों को भी, कीमोथेरेपी के बाद बीमार में होने वाले साइड इफेक्ट के लिए भी मानसिक रूप से तैयार होना होता है, और उसके अनुरूप व्यवस्था भी करनी होती है।


कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट


कीमोथेरेपी में दी जाने वाली दवाएं रक्त के माध्यम से शरीर में फैल जाती है, और तेजी से बढ़ने वाली कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने लगती है, लेकिन इसी क्रम में वह उन सामान्य और स्वस्थ कोशिकाओं को भी नष्ट करने लगती हैं, जो तेजी से बढ़ते हैं, जैसे कि बाल, रक्त बनाने वाली कोशिकाएं, मुंह के भीतर की कोशिकाएं, पाचन तंत्र और प्रजनन तंत्र की कोशिकाएं, ये सभी कोशिकाएं भी तेजी से बढ़ती है, ऐसे में कीमो थेरेपी में प्रयोग की जाने वाली दवाएं इन्हें कैंसर कोशिकायें ही मानते हुए नष्ट करने लगते हैं।


इस कारण से शरीर में विभिन्न प्रकार के साइड इफेक्ट दिखने लगते हैं जैसे कि-

  • बालों का झड़ना, 
  • एनीमिया 
  • भूख ना लगना 
  • खाना ठीक से ना पचना 
  • मुंह के अंदर या गले में खराश 
  • त्वचा का सूख जाना नाखून के रंग में परिवर्तन 
  • प्रजनन संबंधी दुष्प्रभाव आदि। 


इनमें से कुछ दुष्प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं परंतु कुछ दुष्प्रभाव को समाप्त होने में सालों लग जाते हैं।

इस संपूर्ण प्रक्रिया में अपने डॉक्टर और चिकित्सकीय स्टॉप से नियमित संपर्क में रहना चाहिए और शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की असामान्य परिवर्तन को अपने डॉक्टर को अवश्य बताना चाहिए और उनके द्वारा दी गई सलाह के अनुरूप सावधानियां एवं उपचार किया जाना चाहिए।


नोट-  यह आलेख कोई चिकित्सकीय सलाह नहीं है, इसका उद्देश्य मात्र कीमोथेरेपी के संदर्भ में लोगों को जागरुक करना है, भिन्न-भिन्न शारीरिक परिस्थितियों में लक्षणों की भिन्नता और तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। इस संबंध में अपने चिकित्सक के संपर्क में रहना अति आवश्यक है।


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