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भारत में डायबिटीज | डायबिटीज मिलीटस (Diabetes mellitus) का शरीर पर प्रभाव | डायबिटीज से कैसे बचे | डायबिटीज हो जाने पर क्या सावधानी अपनायें

डायबिटीज मिलीटस (Diabetes mellitus) जिसे सामान्यतः डायबिटीज कहा जाता है, विश्व की एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है । इंटरनेशनल डायब...

डायबिटीज मिलीटस (Diabetes mellitus) जिसे सामान्यतः डायबिटीज कहा जाता है, विश्व की एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा हैइंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन द्वारा प्रकाशित आईडीएफ डायबिटीज एटलस 9th एडिशन 2019 के अनुसार विश्व में 20 से 79 आयु वर्ग के 463 मिलियन व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त है पिछले 20 वर्षों में डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या तीन गुनी हो गई हैभारत में डायबिटीज की क्या स्थिति है? डायबिटीज का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? इससे किस प्रकार बचाव किया जा सकता है? और डायबिटीज हो जाने पर क्या सावधानी अपनाई जानी चाहिए? इस आर्टिकल में हम इन पर विस्तार से चर्चा करेंगे-

भारत में डायबिटीज की क्या स्थिति है?
डायबिटीज का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
डायबिटीज से कैसे बचा जा सकता है?
डायबिटीज हो जाने पर क्या सावधानी अपनाई जानी चाहिए?

 भारत में डायबिटीज की क्या स्थिति है?

भारत में यह स्थिति और भी भयावह है विश्व के कुल डायबिटीज रोगियों में हर छठवा व्यक्ति भारतीय है, 2019 के आंकड़ों के अनुसार चीन में कुल डायबिटीज के रोगियों की संख्या 116 मिलियन है, जो कि विश्व में प्रथम स्थान पर है, तथा भारत में 77 मिलियन व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त हैं और ये विश्व में दूसरे स्थान पर है 

डायबिटीज का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

डायबिटीज स्वयं में कोई रोग नहीं है, यह एक असामान्य शारीरिक अवस्था है, जब किसी व्यक्ति के खून में ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है, तो इसे डायबिटीज कहते हैं, कई बार इसे शुगर की बीमारी भी कहा जाता हैं।

यदि डायबिटीज को नियंत्रित नही रखा जाता, तो ये शरीर में कई गंभीर समस्याये पैदा कर देता है, डायबिटीज से होने वाली जटिलताओं के बारे में लोगों में सामान्यतः कम जानकारी होती है।  

खून में शुगर की मात्रा को नियंत्रित ना किया जाए तो इससे शरीर के कई अंगों को हानि हो सकती है, लंबे समय तक अनियंत्रित डायबिटीज से आंख, गुर्दा (किडनी) हृदय, नलिका और तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचता है।

आंखों की समस्या

मधुमेह के कारण आंखों की रक्त धमनियां कमजोर पड़ जाती हैं, या उन में रुकावट आ जाती है, जिससे देख पाने की क्षमता कम हो जाती है। आंखों की जटिलता का पता समय पर नहीं चल पाता, इसलिए वर्ष में एक बार आंखों की जांच अवश्य करनी चाहिए। डायबिटीज के अधिकतर मरीजों में रेटिनोपैथी हो सकती है, जिसके कारण नजर का कम होना अंधापन हो सकता है।

डायबिटीज के मरीजों में काला मोतिया होने की संभावना आम लोगों की तुलना में अधिक होती है। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों में कम उम्र में सफेद मोती होने की संभावना भी होती है। खून में शुगर की मात्रा, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल रेटिनोपैथी का प्रमुख कारण होता है। यदि आंखों के नियमित जांच कराई जाए और शुगर की मात्रा को नियंत्रित रखा जाए तो रेटिनोपैथी से बचा जा सकता है। 

किडनी की समस्या

डायबिटीज के कारण किडनी की रक्त धमनियों को नुकसान पहुंच सकता है, इसे नेफ्रोपैथी कहते हैं। डायबिटीज के शुरुआत में इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता, किडनी का की जांच समय पर हो इसके लिए वर्ष में एक बार डायबिटीज के पेशेंट को खून में यूरिया की जांच अवश्य करानी चाहिए। आम लोगों की तुलना में डायबिटीज के मरीजों को किडनी बीमारी होने की संभावना अधिक होती है, खून में शुगर की मात्रा और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित रखा जाए तो, किडनी की बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है। 

तंत्रिका तंत्र/ नर्वस सिस्टम पर प्रभाव (न्यूरोपैथी)

जब रक्त में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है तो इससे तंत्रिकाओं की कोशिकाओं में सूजन आ जाती है। इससे तंत्रिका की शरीर के विभिन्न भागों में संकेत भेजने की क्षमता कम होने लगती है। तंत्रिकाओं में होने वाली ये क्षति न्यूरोपैथी कह लाती है। तंत्रिकाओं में इस क्षति से विभिन्न प्रकार की समस्या पैदा होने लगती है जैसे कि-


पैरों अथवा शरीर के निचले भागों में जलन या सुन्न होना।

पेट और आतों की क्रियाओं में बदलाव होना।

दर्द की संवेदनाओं का कम हो जाना अर्थात की दर्द महसूस ना होना।

जैसे कि यदि पैर में कोई घाव हो गया है तो, उसका दर्द महसूस नहीं होता जिससे जख्म बढने का खतरा होता है, क्योंकि दर्द की संवेदना होने से व्यक्ति जख्म का नियमित उपचार करता है, अन्यथा की स्थिति में नियमित उपचार ना होने से घाव बढ़ सकता है और संक्रमण फैल सकता है। डायबिटीज के मरीजों के जख्म जल्दी नहीं भरते और कभी-कभी ऐसी भी स्थिति हो जाती है कि, पैर कटवाने भी पढ़ सकते हैं।

न्यूरोपैथी के मरीजों को नंगे पैर नहीं चलना चाहिये। किसी भी तरह की चोट से बचना चाहिये, नियमित पैरों की जांच करनी चाहिये कि कहीं पैर में कोई चोर तो नहीं है, वह फट तो नहीं रहे हैं, उनका रंग तो नहीं बदल रहा है, आदि। यदि ऐसा हो रहा है तो, खुश्की और पैर में फटने की क्रीम का प्रयोग करना चाहिये। पैरों की नियमित देखभाल करें, नाखूनों को समय से काटे, सही साइज के जूते और मोजे पहने, कॉटन/सूती मोजों का प्रयोग करें, जिससे पैरों में होने वाला पसीना सूखता रहे, और पैरों में किसी प्रकार का इन्फेक्शन ना होने पाए। 

दिल का दौरा अथवा लकवा

हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की मात्रा का बढ़ने से डायबिटीज के मरीजों में दिल का दौरा पड़ने, और लकवा होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में विशेष ध्यान रखना चाहिए कि, नियमित व्यायाम करते रहें, और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें, वजन को निर्धारित सीमा के भीतर रखें, खानपान स्वस्थ रखें, ब्लड शुगर एवं कोलेस्ट्रॉल को निर्धारित सीमा के भीतर रखें, शराब और तंबाकू का सेवन न करें तथा नियमित रूप से डॉक्टर से परामर्श लेते हैं। 

डायबिटीज से कैसे बचा जा सकता है?

ऐसे व्यक्ति जिन्हें डायबिटीज नहीं है, उन्हें भविष्य में भी डायबिटीज न हो, इसके लिए एक स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए, और कुछ विशेष सावधानियां रखनी चाहिये, जैसे कि -

  • यदि आपको डायबिटीज होने का जोखिम अधिक है, अर्थात की आपकी कार्यशैली लंबे समय तक बैठकर कार्य करने की है, अथवा आनुवांशिक रूप से आपकी परिवार श्रृंखला में डायबिटीज है। तो यह आवश्यक है कि आप नियमित रूप से अपनी जांच कराते रहें, जिससे कि सही समय पर बीमारी की पहचान की जा सके।
  • खान-पान पर नियंत्रण बहुत आवश्यक है। अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी सब्जियां, फल, दूध, दही, से बनी चीजों का उचित मात्रा में सेवन करना चाहिए।
  • इसके साथ निश्चित समय पर नियमित संतुलित आहार लेना चाहिए।
  • मोटा पिसा और चोकर सहित गेहूं के आटे का प्रयोग करना चाहिए।
  • अधिक घी तेल वाला भोजन नहीं करना चाहिए, बल्कि रेशेदार भोजन करना चाहिए।
  • सेब, नाशपाती, अमरूद, जैसे फलों का सेवन बिना छिलका उतारे करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त विभिन्न रसदार फलों जैसे कि संतरा, किन्नू, मौसमी का गूदे सहित सेवन करना चाहिए।
  • भोजन में अंकुरित अनाज को अवश्य शामिल करना चाहिए।
  • शारीरिक तौर पर कम सक्रिय रहने वाले लोगों को मधुमेह का खतरा अधिक होता है, मधुमेह से बचने के लिए सक्रिय जीवन शैली अपनाई चाहिए, नियमित व्यायाम और टहलना अति आवश्यक है।
  • वजन को नियंत्रित रखना चाहिए, अधिक वजन वाले लोंगों को डायबिटीज होने का जोखिम अधिक होता है। 

डायबिटीज हो जाने पर क्या सावधानी अपनाई जानी चाहिए?  

ऐसे व्यक्ति जो डायबिटीज से पीड़ित हैं, अर्थात की उनका ब्लड शूगर लेवल अधिक है, उन्हें विभिन्न प्रकार की सावधानियां अपनानी चाहिए, क्योकि यदि डायबिटीज एक बार हो गया, तो उसे समाप्त नहीं किया जा सकता, केवल उसे नियंत्रित रख सकतें हैं, जिससे कि इससे होने वाली जटिलता से बच सके :-

  • इसके लिए उन्हें उचित खानपान अर्थात की कम घी तेल वाला और अधिक रेशेदार भोजन करना चाहिए।
  • शारीरिक तौर पर सक्रिय रहना चाहिए।
  • नियमित दवाओं का सेवन करना चाहिए।
  • भोजन को नियमित सीमा के भीतर रखना चाहिए स्वस्थ जीवन शैली का अपनाना चाहिए।
  • अपने खून में शुगर की मात्रा की नियमित जांच करानी चाहिए और उसे नियंत्रण में रखना चाहिए।
  • हाइपोग्लाइसीमिया से भी बचना चाहिए। यह तब होता है, जब ब्लड शुगर की मात्रा 70 एमजी प्रति डीएल (70mg/dl) से कम हो जाती है। ऐसी स्थिति तब पैदा हो जाती है, जब मरीज ने डायबिटीज की दवाई ज्यादा मात्रा में ले ली हो, और खाना कम खाया हो अथवा अधिक व्यायाम करने से। 

विशेष- उपर दी गई सभी जानकारी डायबिटीज (मधुमेह) के संबंध में आप की सामान्य जानकारी बढ़ाने के लिए हैं, यह कोई विशेषज्ञ सलाह नहीं है।

यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट बाक्स में जरूर बताएंजिससे आर्टिकल में सुधार कर, इसे और उपयोगी बनाया जा सकेआर्टिकल  को पूरा पढने के लिए धन्यवाद ....🙏

 

 

 

 

 

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