ब्लैक फंगस बीमारी क्या है, ब्लैक फंगस के लक्षण, ब्लैक फंगस का ईलाज (M ucormycosis kya hai, ) , ब्लैक से बचाव आदि सभी प्रश्नों का उत्तर आपको ...
ब्लैक फंगस बीमारी क्या है, ब्लैक फंगस के लक्षण, ब्लैक फंगस का ईलाज (Mucormycosis kya hai,), ब्लैक से बचाव आदि सभी प्रश्नों का उत्तर आपको इस आर्टिकल में मिलेगा।
ब्लैक
फंगस क्या है?
फंगस
से होने वाले रोग कौन से है ?
ब्लैक
फंगस कैसे फैलता है?
ब्लैक
फंगस हमारे शरीर में कैसे प्रवेश करता है?
ब्लैक
फंगस कैसे संक्रमित करता है?
म्यूकोर्मिकोसिस
से बचाव कैसे किया जा सकता है?
म्यूकोर्मिकोसिस का उपचार क्या है?
ब्लैक फंगस क्या है?
ब्लैक फंगस एक कवक/फंगस से फैलने वाला रोग है। विभिन्न प्रकार के अन्य सूक्ष्मजीव जैसे कि वायरस, बैक्टीरिया आदि की भांति फंगस भी एक सूक्ष्मजीव है।
जब कभी सामान्यता रसोई घरों में ब्रेड का कोई टुकड़ा कुछ दिनों तक पड़ा रह जाता है, या अचार जब खराब हो जाता है, तब उस पर सफेद हरे या काले रंग के फंगस उग आते हैं, जो कि खाद्य पदार्थ को खराब कर देते हैं। कई बार प्याज को छीलते समय भी उसमे काले रंग का पाउडर जैसा दिखता है, यह सभी फंगस होते है।
फंगस
की कई प्रजातियां पाई जाती है। सभी हानिकारक नहीं होती, जैसे कि यीस्ट भी एक प्रकार
का फंगस है, जिसका बेकरी के उत्पादों में प्रयोग किया जाता है, ब्रेड और केक में
खमीर उठाने में भी इसका प्रयोग होता है। शराब बनाने में फर्मेंटेशन में भी फंगस का ही प्रयोग किया जाता है। मशरूम जो कि प्रोटीन से भरपूर आहार है, यह भी एक फंगस है।
फंगस से होने वाले रोग कौन से है ?
फंगस
की कुछ प्रजातियां मनुष्य के लिए हानिकारक है, और विभिन्न प्रकार के रोग का कारण होती
है, मनुष्य में फंगस से होने वाले मुख्य रोग हैं-
अस्थमा
एवं एलर्जी
त्वचा
में संक्रमण, गोल चकत्ते पड़ना
नाखूनों
में संक्रमण
मुंह
और गले में छाले
फेफड़ों
में संक्रमण
रक्त
वाहिका में संक्रमण
मेनिनजाइटिस
फंगस का एक ग्रुप म्यूकोमायसिटी (Mucormycetes) है, जो मनुष्य के लिए घातक होता है और इसके द्वारा जो इन्फेक्शन फैलता है उसे म्यूकोर्माइकोसिस (Mucormycosis) कहते हैं, पहले इसे जाएगोमाइकोसिस (zygomycosis) कहा जाता था।
ब्लैक फंगस कैसे फैलता है?
फंगस
स्पोर से फैलता है, इसको इस प्रकार समझ सकते हैं, जैसे कोई पौधा बीज से पनपता है, उसी
प्रकार यह स्पोर फंगस के बीज होते हैं। जैसे ही स्पोर को इनके अनुकूल वातावरण मिलता
है, इसमें से फंगस की वृद्धि प्रारंभ हो जाती है।
ये स्पोर्स बहुत छोटे होते हैं जो नंगी आंखों से नहीं देखे जा सकते, स्पोर का आकार फंगस की अलग-अलग प्रजातियों में भिन्न-भिन्न होता है, सामान्यतः इनका आकार 0.3 से 4 माइक्रोमीटर होता हैं। इसे इस प्रकार समझ सकते हैं कि एक सरसों का बीज जो एक या दो मिलीमीटर साइज का होता है, ये स्पोर उससे 1000 गुना छोटे होते हैं।
ब्लैक फंगस हमारे शरीर में कैसे प्रवेश करता है?
फंगस के ये स्पोर वातावरण में सभी जगह पाए जाते हैं, पेड़ पौधों में, नमी वाले स्थानों, पर मिट्टी में, सड़ते हुये फल और सब्जियों में यह बहुतायत में होते हैं। यह हवा में भी तैरते रहते हैं। इनका इंफेक्शन मुख्य रूप से तीन प्रकार से होता है-
1- सांस लेते समय यह हमारे श्वसन तंत्र में चले जाते हैं और साईनस,दिमाग और लंग्स (फेफड़े) में इंफेक्शन करते हैं।
2-
किसी फंगस लगे खाद्य पदार्थों को खाने से
यह हमारे आहार नाल में चले जाते हैं, और वहां इंफेक्शन पैदा करते हैं।
3- चोट लग जाने, कट जाने अथवा शरीर में कोई घाव हो जाने पर, ये उस घाव के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, और इंफेक्शन पैदा करते हैं।
ब्लैक फंगस कैसे संक्रमित करता है?
यह फंगस सामान्य रूप से वातावरण में सभी जगह पाए जाते हैं, और हमारे शरीर में भी प्रवेश करते रहते हैं, लेकिन इससे मनुष्य बीमार नहीं पड़ता क्योंकि मनुष्य का प्रतिरक्षा तंत्र इसे शरीर में विकसित नहीं होने देता।
लेकिन जब किन्ही कारणों जैसे कि डायबिटीज, कैंसर, HIV,AIDS, अंग प्रत्यारोपण या लंबे समय तक स्टेरॉयड लेने आदि से मनुष्य का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है, तब यह फंगस तेजी से शरीर में विकसित होते हैं और संक्रमण फैला देते हैं। इसके संक्रमण से होने वाली मृत्युदर 50% के लगभग होती है।
भारत जो कोविड-19 की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित है, यहां कोविड-19 से रिकवर हो गए, या रिकवरी कर रहे लोगों में म्यूकोमायोसिस / ब्लैक फंगस का संक्रमण देखा जा रहा है। इसे ब्लैक फंगस इसलिए नहीं कहा जाता कि इस फंगस का रंग काला होता है, बल्कि जब इसका संक्रमण होता है, तो नाक आंख और जबड़े के आसपास सूजन और कालापन आ जाता है, इसी कारण इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है।
कुछ
राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। कोविड-19 के साथ इसका संक्रमण एक गंभीर समस्या बन गया है, कोविड-19 के संक्रमण के साथ-साथ डायबिटीज से
ग्रस्त व्यक्तियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है, जिसके कारण ब्लैक फंगस का संक्रमण
तेजी से हो रहा है।
स्टेराइड के अधिक प्रयोग से-
कोविड-19 के संक्रमण से शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र इतना अधिक सक्रिय हो जाता है, कि वह लंग्स/फेफड़ों की कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है। ऐसे में प्रतिरक्षा तंत्र को धीमा करने के लिए उन्हें स्टेरॉयड दिया जाता है, लेकिन प्रतिरक्षा तंत्र धीमा होने से ब्लैक पंकज को विकसित होने का पूरा मौका मिल जाता है।
डायबिटीज-
भारत
में अनुमानतः 70 मिलियन लोग डायबिटीज से ग्रस्त है, अनियंत्रित ब्लड सुगर से
शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र काफी कमजोर हो जाता है, और जब इन्हें कोविड-19 का संक्रमण होता
है, तो इनका शरीर ब्लैक फंगस के प्रति बहुत कमजोर हो जाता है, और ब्लैक फंगस को विकसित
होने का पूरा अवसर मिल जाता है।
वैसे तो फंगस के स्पोर वातावरण में सभी जगह पाए जाते हैं, लेकिन यदि हॉस्पिटल में सफाई का पूरा ध्यान नहीं रखा जाता, हॉस्पिटल के उपकरण उचित प्रकार से स्टेरलाईज/ सेनेटाएज नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भी फंगस से संक्रमण की संभावना बहुत बढ़ जाती है।
म्यूकोर्मिकोसिस से बचाव कैसे किया जा सकता है?
कवक के बीजाणुओं/स्पोर से बचना मुश्किल है, क्योंकि वातावरण में सभी जगह म्यूकोर्मिकोसिस पैदा करने वाले कवक के बीजाणुओं/स्पोर पाये जाते हैं। म्यूकोर्मिकोसिस को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों के लिए, म्यूकोर्मिकोसिस के विकास की संभावना को कम करने के कुछ तरीके हो सकते हैं।
बागवानी का कार्य करते समय शरीर को अधिकतम ढक कर रखे, ग्लब्स,मास्क और फुल आस्तीन के कपडे पहन कर करे।
सड़ते गलते भोज्य पदार्थो अथवा रसोई से निकले व्यर्थ पदार्थो को यदि लम्बे समय तक रखेंगे तो उसमे भी फंगस की वृद्धि होगी और इसके संक्रमण की संभावना अधिक होगी।
प्रयोग के बाद मास्क को भली प्रकार से धुल कर धूप में सुखाए।
फ्रिज की नियमित सफाई करे क्योकि नमी वाले स्थानो पर इसकी वृद्धि अधिक होती है।
निर्माण या उत्खनन स्थलों जैसे बहुत अधिक धूल वाले क्षेत्रों से बचने की कोशिश करें। यदि आप इन क्षेत्रों से बच नहीं सकते हैं, तो वहां रहते हुए एक N95 मास्क (एक प्रकार का फेस मास्क) पहनें।
तूफान
और प्राकृतिक आपदाओं के बाद पानी से क्षतिग्रस्त इमारतों और बाढ़ के पानी के सीधे संपर्क
से बचें।
मिट्टी, काई या खाद जैसी
सामग्री को संभालते समय दस्ताने पहनें।
त्वचा के संक्रमण के विकास की संभावना को कम करने के लिए, त्वचा की चोटों को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें, खासकर अगर वे मिट्टी या धूल के संपर्क में हों।
यदि आप म्यूकोर्मिकोसिस विकसित होने के लिए उच्च जोखिम में हैं (उदाहरण के लिए, यदि आपका अंग प्रत्यारोपण या स्टेम सेल प्रत्यारोपण हुआ है, आप का कैंसर का ईलाज चल रहा है, आप को कोविड हुआ है अथवा कोविड से रिकवरी चल रही है ), तो आप अपने चिकित्सक के परामर्श से एंटिफंगल दवायें ले सकते हैं।
म्यूकोर्मिकोसिस का उपचार क्या है?
म्यूकोर्मिकोसिस एक गंभीर संक्रमण है और इसका इलाज डॉक्टर के दिशा निर्देशन में एंटिफंगल दवायें, जैसे कि एम्फोटेरिसिन बी, पॉसकोनाज़ोल या इसावुकोनज़ोल आदि से किया जाता है । इनमे कुछ दवाएं नसों के द्वारा और कुछ मुंह के माध्यम से दी जाती हैं। अक्सर, म्यूकोर्मिकोसिस में संक्रमित हिस्से को सर्जरी के द्वारा काटकर शरीर से अलग कर दिया जाता है।
विशेष- उपर दी गई सभी जानकारी म्यूकोर्मिकोसिस
अथवा ब्लैक फंगस के संबंध
में आप की सामान्य जानकारी बढ़ाने के लिए हैं, यह कोई विशेषज्ञ सलाह नहीं है।
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