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कोविड-19 वैक्सीन, कौन सी ज्यादा अच्छी है, कोवाक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन में क्या अंतर है, किसे वैक्सीनेशन नहीं करवाना है, वैक्सीन कब लगाना है, और दोनों वैक्सीन के डोज में अंतर, क्या साइड इफेक्ट है आदि ।

कोविड-19 वैक्सीन में कौन ज्यादा अच्छी है, कोवाक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन में क्या अंतर है, किसे वैक्सीनेशन नहीं करवाना है,  वैक्सीन कब लगाना...

कोविड-19 वैक्सीन में कौन ज्यादा अच्छी है, कोवाक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन में क्या अंतर है, किसे वैक्सीनेशन नहीं करवाना है,  वैक्सीन कब लगाना है, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में क्या वैक्सीनेशन की आवश्यकता नहीं है, वैक्सीनेशन में क्या सावधानियां रखनी हैं? दोनों वैक्सीन के डोज में कितना अंतर रखना है ?, वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट है, इम्यूनिटी कैसे बनती है, वैक्सीनेशन के कितने दिनों बाद बनती है, कितने दिनों तक रहती है आदि, सभी प्रश्नों का समाधान करने का प्रयास इस आर्टिकल में करने का प्रयास किया गया है ।  

🔊 प्रश्न-भारत में किस कोविड-19 वैक्सीन को लाइसेंस मिला है?  

भारत में पहले दो वैक्सीन को लाइसेंस मिला हुआ है, जिसमें पहली वैक्सीन कोविशील्ड है, जो कि मूल रूप से एस्ट्राजेनिका वैक्सीन है । इसे सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा उत्पादित किया जा रहा है।
दूसरी वैक्सीन कोवाक्सीन है, जिसका उत्पादन भारत बायोटेक लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
वर्तमान में रूस के गामालेया इंस्टिट्यूट द्वारा विकसित वैक्सीन स्पुतनिक-वी को भी भारत सरकार ने मान्यता दी है, भारत में हैदराबाद स्थित फर्म डॉ. रेड्डीस लैबोरेट्रीज द्वारा इसे आयत,उत्पादित और वितरित किया जायेगा ।

🔊 प्रश्न-18 वर्ष से कम उम्र के लोगों और बच्चों में क्या वैक्सीनेशन की आवश्यकता नहीं है या उन्हें कब वैक्सीन लगाई जाएगी?

18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को और बच्चों का भी वैक्सीनेशन किया जायेगा, परंतु अब तक जो भी वैक्सीन बनायी गयी है, वे सभी वयस्कों पर किए गए ट्रायल के आधार पर हैं। परंतु विभिन्न देशों में और, भारत में भी 12 से 18 वर्ष के और 12 वर्ष से छोटे बच्चों में भी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं और जल्द ही इनके लिए भी वैक्सीन उपलब्ध होगी।   

🔊 प्रश्न-कोवाक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन में क्या अंतर है?

इसको जानने से पहले यह समझना होगा की, वैक्सीन किस प्रकार काम करती है । वैक्सीन शरीर में प्रवेश कर प्रतिरोध तंत्र को वायरस इनफेक्शन का मैसेज देता है, यह इंफेक्शन आभासी या बहुत हल्का होता है, लेकिन शरीर का प्रतिरोध तंत्र इस वायरस को पहचान कर इसके विरूद्ध एंटीबॉडीज बनाने लगता है, और साथ ही इस वायरस की सूचना को भी अपने पास मेमोरी में स्टोर कर लेता है, जिससे जब वायरस का वास्तविक इंफेक्शन होता है, तब शरीर का प्रतिरोध तंत्र पूर्व में रिकॉर्ड हुई सूचना के आधार पर तुरंत एंटीबॉडीज बनाकर उसे कंट्रोल कर लेता है और शरीर बीमारी की गंभीर अवस्था से बच जाता है।


इस प्रकार वैक्सीन का मुख्य कार्य शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मैसेज भेजना है, मैसेज भेजने के माध्यम अलग होते हैं, और यही वैक्सीन का अंतर होता है। कोविशील्ड वैक्सीन वायरल वेक्टर तकनीकी के आधार पर काम करती है इसमें चिंपांजी के एडिनोवायरस को प्रयोग किया गया है।  

जबकि कोवाक्सीन इनएक्टिव वायरस तकनीकी पर काम करती है। इसमें लैब में इनएक्टिव वायरस को बनाकर और उसके द्वारा शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मैसेज भेजा जाता है, दोनों वैक्सीन प्रभावी हैं और इंफेक्शन की गंभीर अवस्था को रोकने में सक्षम है।

🔊 प्रश्न-कोरोना वैक्सीन की 1 शीशी (vial) में कितने एमएलए वैक्सीन होती है, और वैक्सीनेशन के समय एक व्यक्ति को कितने ml का डोज लगाया जाता है?

कोवाक्सीन और कोविशील्ड दोनों वैक्सीन एक बार में 0.5 एमएम लगायी जाती है, कोविशील्ड की 1 शीशी (vial) में 5ml वैक्सीन होती है, अर्थात 1 शीशी (vial) से 10 डोज लगाए जाते हैं वही कोवाक्सीन में 1 शीशी (vial) में 10ml वैक्सीन होती है अर्थात 1 शीशी (vial) से 20डोज लगाए जाते हैं यह भी ध्यान रखना होता है कि 1 शीशी (vial ) ओपन होने के बाद उसके सभी डोज 4 घंटे में लगा लिए जाने चाहिए।

🔊 प्रश्न-वैक्सीन कब लगाना है और दोनों वैक्सीन के डोज में कितना अंतर होना चाहिए?

पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के पश्चात अथवा ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के द्वारा जब भी समय आवंटित हो तुरंत वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। दूसरी डोज के लिए कोविशील्ड के संदर्भ में 6 से 16 सप्ताह के बीच में वैक्सीन का दूसरा डोज लगवाना चाहिए, जबकि कोवाक्सीन के संबंध में दूसरा डोज 4 से 6 सप्ताह के बीच में लेना चाहिए।

🔊 प्रश्न-कौन सी वैक्सीन लगानी चाहिए कौन सी वैक्सीन ज्यादा अच्छी है? क्या दोनों वैक्सीन में चयन करने की सुविधा है?  

रजिस्ट्रेशन के पश्चात दिए गए समय में वैक्सीनेशन सेंटर पर जो भी वैक्सीन उपलब्ध होगी, वही आपको लगाई जाएगी। वैक्सीन में चयन करने की सुविधा उपलब्ध नहीं है। दोनों वैक्सीन पर्याप्त सक्षम है, और बीमारी की गंभीर अवस्था को रोकने में समर्थ है। अतः जैसी वैक्सीन का अवसर मिले उसे तुरंत लगवा लेना चाहिए।    

🔊 प्रश्न-क्या पहला डोज जिस वैक्सीन का लिया जाएगा गया है, दूसरा डोज भी उसी वैक्सीन का लेना अनिवार्य है, यदि पहला और दूसरा डोज अलग-अलग वैक्सीन का लिया गया है तो क्या होगा?

जिस व्यक्ति ने पहला डोज लिया है, निर्धारित समय के पश्चात दूसरा डोज भी उसी वैक्सीन का लिया जाना अनिवार्य है। अर्थात दोनों डोज एक ही वैक्सीन के लिए जाएंगे, यदि दोनों डोज अलग-अलग वैक्सीन के लिए लिए गए हैं, तो उसका शरीर पर क्या प्रभाव होगा इस संदर्भ में अभी किसी प्रकार के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। परंतु यदि ऐसी स्थिति आ जाती है तो आपको वैक्सीनेशन सेंटर पर इसे सूचित करना होगा, या अपने चिकित्सक से परामर्श लेना होगा।

🔊 प्रश्न-क्या करोना से संक्रमित होने के बाद शरीर में इम्यूनिटी बनती? और यदि बनती है तो वह कितने दिनों तक प्रभावी रहती है?

करोना से संक्रमित होने के पश्चात शरीर में करोना के प्रति इम्यूनिटी डिवेलप हो जाती है, यह कितनी प्रभावी होती है, ये प्रत्येक मनुष्य के संदर्भ में अलग होता है, सामान्यतः यह इम्यूनिटी 3 से 8 माह तक शरीर में रहती है, कुछ केस में यह 12 माह तक भी रिपोर्ट हुई है।

🔊 प्रश्न-यदि किसी व्यक्ति को करोना से संक्रमण हुआ था, तो क्या ऐसे व्यक्ति को भी वैक्सीन लगवाना चाहिये ?

हां,करोना से संक्रमण के बाद भी वैक्सीन लगाना अनिवार्य है, इससे व्यक्ति में एक मजबूत प्रतिरक्षा तंत्र बनता है, विभिन्न स्टडीज में देखा गया है कि इंफेक्शन से रिकवर होने के 4 से 8 सप्ताह के पश्चात वैक्सीनेशन करवाना सर्वाधिक प्रभावी होता है।

🔊 प्रश्न-यदि किसी व्यक्ति को करोना से संक्रमण  हुआ है, अथवा करोना से संक्रमण जैसे लक्षण आए है, और यदि उसे वैक्सीन लगवाने का अपॉइंटमेंट मिल गया है, तो क्या उसे वैक्सीन लगवा लेना चाहिये?

यदि किसी व्यक्ति को करोना हुआ है, या करोना जैसे लक्षण प्रतीत हो रहे हैं, तो उसे लक्षण आने के 14 दिनों बाद ही वैक्सीन लगाना चाहिए, क्योंकि यदि वह वैक्सीनेशन के लिए 14 दिन से पूर्व चला जायेगा तो उससे वैक्सीनेशन सेंटर पर अन्य लोगों को संक्रमण का खतरा हो सकता है।

🔊 प्रश्न-किन व्यक्तियों को और कब-कब वैक्सीनेशन किया गया?

प्रारंभिक चरण में, प्राथमिकता समूह- हेल्थ केयर और फ्रंट-लाइन वर्कर को COVID-19 टीका लगाया गया था । 1मार्च, 2021 से शुरू हुये दूसरे चरण में 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीयों का टीकाकरण किया गया और 1 अप्रैल, 2021 से 45 से 59 वर्ष की उम्र के भारतीयों को टीकाकरण के लिए अनुमति दी गयी। इसके पश्चात 1 मई, 2021 से 18 से 45 वर्ष की उम्र के सभी भारतीयों को टीकाकरण के लिए अनुमति दे दी गयी ।

🔊 प्रश्न-क्या लंबे समय तक चलने वाले घातक और असाध्य रोगों से ग्रस्त व्यक्ति भी टीकाकरण करा सकते हैं?

वे सभी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार के घातक और असाध्य रोग से पीड़ित हैं, टीकाकरण करा सकते हैं, जैसे कि- हृदय रोग, मधुमेह, टी.बी.,अस्थमा, ब्लड प्रेशर, किडनी संबंधी रोग, लिम्फोमा, ल्यूकेमिया ,मायलोमा,सिरोसिस, बोन मैरो से पीड़ित, लीवर ट्रांसप्लांट, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, कैंसर से ग्रस्त व्यक्ति या वर्तमान में कैंसर थेरेपी ले रहे व्यक्ति, बोन मैरो से संबंधित रोग से पीड़ित व्यक्ति, एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति, थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति, एचआईवी या इम्यूनोडिफिशिएंसी रोग से पीड़ित व्यक्ति, किसी प्रकार की बौद्धिक व शारीरिक दिव्यांग व्यक्ति सभी टीकाकरण के लिए पात्र हैं। यदि किसी प्रकार की असहजता अनुभव होती है तो अपने चिकित्सक से परामर्श भी लिया जा सकता है।

🔊 प्रश्न-किन व्यक्तियों को वैक्सीनेशन नहीं करवाना है, अथवा कुछ विशेष सावधानी के साथ करवाना है?

जिन व्यक्तियों में कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक लेने के पश्चात एलर्जी जैसे लक्षण प्रतीत हुए हैं, तो उन्हें दूसरी डोज लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए 

इन सभी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शामिल नहीं किया गया था, इसलिए गर्भवती स्तनपान कराने वाली महिलाएं कोविड-19 कि किसी वैक्सीन को लेने से पहले अपने संबंधित चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें

जिन व्यक्तियों में कोविड-19 का संक्रमण हुआ है, इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति कोविड-19 के मरीज थे, और उन्हें एंटीसार्स-2 मोनोक्लोनल (anti-SORS-2 monoclonal) एंटीबॉडीज या कांवालेस्सेंट (Convalescent ) प्लाज्मा दिया गया है, ऐसे व्यक्तियों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के 3 माह  पश्चात ही वैक्सीन लगवाना चाहिए

वे व्यक्ति जो किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं और हॉस्पिटल में अथवा आईसीयू में भर्ती हैं ऐसे मरीजों को भी संबंधित डॉक्टर के परामर्श के पश्चात ही टीकाकरण कराया जाना चाहिए

🔊 प्रश्न-क्या रक्त स्राव संबंधी बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति को भी वैक्सीनेशन करवाना है?

जो व्यक्ति रक्तस्राव संबंधी बीमारियों हीमोफिलिया' आदि से ग्रस्त हैं। इन व्यक्तियों को अपने उपचार करने वाले चिकित्सक की देखरेख में टीका लगवाना चाहिए। जिन रोगियों को रक्तस्राव की समस्या होती है, और उन्हें अस्पताल या आईसीयू में भर्ती कराया गया है, उन्हें हास्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद ही टीकाकरण करवाना चाहिए।

🔊 प्रश्न-जो व्यक्ति दिल या मस्तिष्क से संबंधित किसी भी बीमारी से ग्रस्त हैं, और खून पतला करने की दवायें ले रहे हैं क्या वे कोविड-19 की वैक्सीन लगवा सकते हैं?

ऐसे लोग जो एस्पिरिन और एंटीप्लेटलेट दवाओं जिससे रक्त पतला होता हैं ले रहे हैं वे वैक्सीन लगवा सकते हैं, और अपनी दवाओं को भी जारी रख सकते हैं, टीके पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

🔊 प्रश्न-क्या महिलाएं मासिक चक्र के दौरान वैक्सीन लगवा सकती हैं?  

हां महिलाएं मासिक चक्र के दौरान वैक्सीन लगवा सकती हैं, और यह पूरी तरह से सुरक्षित है

🔊 प्रश्न-जिन व्यक्तियों को वैक्सीन की प्रथम डोज लेने के बाद कोविड-19 का संक्रमण हो गया है ऐसे लोग अपनी दूसरी डोज कब ले सकते हैं?

यदि किसी व्यक्ति को वैक्सीन की प्रथम डोज लगवाने के बाद संक्रमण हुआ है तो पूरी तरह से रिकवर होने के 4 से 6 सप्ताह के बाद वैक्सीन की दूसरी डोज लेनी चाहिये

🔊 प्रश्न-क्या इम्यूनोथेरेपी करवा रहे अथवा इम्यून सिस्टम से संबंधी किसी रोग से ग्रस्त व्यक्ति वैक्सीन ले सकते हैं?

प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम) के मुद्दे दो प्रकार के होते हैं-

पहला, किसी भी बीमारी जैसे एड्स के कारण इम्यून तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव हुआ हो (immunosuppression), और व्यक्ति इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाओं जैसे कैंसर रोधी दवाएं, स्टेरॉयड आदि पर हो ।
दूसरा, वे लोग जिनमे जन्मजात अपर्याप्त प्रतिरक्षा तंत्र (इम्युनोडेफिशियेंसी) की समस्या हो।

वर्तमान में, उपलब्ध COVID-19 टीकों में कोई जीवित वायरस नहीं है और इसलिए प्रतिरक्षा संबंधी समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों को सुरक्षित रूप से वैक्सीन दी जा सकती है। लेकिन उनमें वैक्सीन उतना प्रभावी नहीं हो सकती है। वैक्सीनेटर को उन दवाओं के बारे में सूचित करना चाहिए जो वे उपभोग कर रहे हैं। वैक्सीनेटर के पास चिकित्सा स्थिति का रिकॉर्ड होना चाहिए।

🔊 प्रश्न-क्या गंभीर और दीर्घकालिक क्रॉनिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति वैक्सीन ले सकते हैं?

गंभीर और दीर्घकालिक रोगों जैसे कार्डियक, न्यूरोलॉजिकल, पल्मोनरी, मेटाबॉलिक, रीनल और मैलिग्निसेस इत्यादि रोगों से ग्रस्त व्यक्ति भी वैक्सीन ले सकते हैं। वास्तव में, COVID-19 टीके से COVID-19 बीमारी की गंभीर स्थित से बचा जा सकता है।

🔊 प्रश्न-वैक्सीन लेने के बाद क्या साइड इफेक्ट हो सकते है, और साइड इफेक्ट होने पर क्या किया जाना चाहिये है ?

वैक्सीन लगने के बाद 10% मामलों में साइड इफेक्ट देखे गए हैं, ज्यादातर मामूली साइड इफेक्ट होते हैं। टीकाकरण के बाद होने वाले साइड इफेक्ट, यह संकेत देते हैं कि व्यक्ति का शरीर COVID-19 संक्रमण से सुरक्षा का निर्माण कर रहा है, ये साइड इफेक्ट निम्न प्रकार के हो सकते हैं -

  • हाथ/बांह में दर्द यहां इंजेक्सन लगाया गया था
  • हल्का से मध्यम बुखार
  • थकान
  • सिर दर्द
  • मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द

यदि 24 घंटों के बाद भी बांह में यहां इंजेक्सन लगाया गया था, लालिमा या दर्द है, या यदि साइड इफेक्ट कुछ दिनों के बाद दूर नहीं होते हैं, तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें।

साइड इफेक्ट को रोकने के लिए COVID-19 वैक्सीन लगवाने से पहले पेरासिटामोल जैसे दर्द निवारक दवाएं  नहीं लेनी चाहिये है। क्योकि दर्द निवारक दवाएं टीके के काम करने की क्षमता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं, यह ज्ञात नहीं है। हालाँकि, यदि आप टीकाकरण के बाद दर्द, बुखार, सिरदर्द या मांसपेशियों में दर्द जैसे साइड इफेक्ट से ग्रस्त हैं, तो आप पेरासिटामोल या अन्य दर्द निवारक दवाएं ले सकते हैं।

यदि आप COVID-19 वैक्सीन की पहली खुराक के लिए तत्काल गंभीर एलर्जी का अनुभव करते हैं, तो आपको वैक्सीन की अगली खुराक नहीं लेनी चाहिए। और अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिये।

🔊 प्रश्न-वैक्सीनेशन के बाद की सावधानियां क्या है?

वैक्सीनेशन के बाद आधे घंटे तक वैक्सीनेशन सेंटर पर ही रुकना है, जिससे वैक्सीनेशन का यदि कोई तात्कालिक प्रभाव शरीर पर पड़ता है, तो उपचार दिया जा सके।

वैक्सीनेशन के बाद भी सभी कोविड-19 से बचाव के साधनों जैसे की मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग आदि का पालन करते रहना है।

🔊 प्रश्न-वैक्सीनेशन के समय पहले अथवा बाद किन दवाओं को नहीं लेना है?

वैक्सीनेशन से पहले या बाद किन दवाओं को नहीं लेना है, ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं है, इस संदर्भ में अपने चिकित्सक से परामर्श लिया जाना चाहिये।

🔊 प्रश्न-वैक्सीनेशन के कितने समय बाद इम्यूनिटी डेवलप होती है?

वैक्सीनेशन का दूसरा डोस लेने के पश्चात 2 से 3 सप्ताह के भीतर इम्यूनिटी डेवलप होती है।

🔊 प्रश्न-क्या वैक्सीन लेने वाले लोगों को अल्कोहल शराब नहीं पीनी चाहिए?

इस प्रकार का ऐसा कोई अध्ययन या डाटा उपलब्ध नहीं है, जिससे यह निर्धारित किया जा सके की वैक्सीन के प्रभाविता या दक्षता में शराब का कोई प्रभाव है, परंतु सामान्य रूप से अधिक मात्रा में शराब पीने से शारीरिक तंत्र कमजोर होता है, जिससे प्रतिरक्षा तंत्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

विशेष- उपर दी गई सभी जानकारी कोविड-19  बीमारी और वैक्सीनेशन के संबंध में आप की सामान्य जानकारी बढ़ाने के लिए हैं यह कोई विशेषज्ञ सलाह नहीं है।

यह आर्टिकल आपको कैसा लगा कमेंट बाक्स में जरूर बताएंजिससे आर्टिकल में सुधार कर, इसे और उपयोगी बनाया जा सकेआर्टिकल  को पूरा पढने के लिए धन्यवाद ....🙏

 

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